FPI ने मई में अब तक शेयर बाजारों से निकाले 6,400 करोड़, एक्सपर्ट्स से जानिए आगे कैसा रहेगा निवेशकों का रूझान?

FPI: विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) ने मई के पहले चार कारोबारी सत्रों में भारतीय शेयर बाजारों से 6,400 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है. बीते सप्ताह भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और US फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में बढ़ोतरी की, जिसका असर एफपीआई पर दिख रहा है. कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी रिसर्च (रिटेल) हेड श्रीकांत चौहान ने कहा, ‘‘कच्चे तेल की ऊंची कीमतों, मॉनेटरी पॉलिसी के रुख में सख्ती और अन्य वजहों से शॉर्ट टर्म में FPI फ्लो में उतार-चढ़ाव बना रहेगा.’’ डिपॉजिटरी के आंकड़ों के अनुसार, एफपीआई ने 2 से 6 मई के दौरान 6,417 करोड़ रुपये के शेयर बेचे हैं. वहीं, 3 मई को ईद पर बाजार बंद रहे थे.

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क्या कहते हैं एक्सपर्ट्स

  • ट्रेडस्मार्ट के चेयरमैन विजय सिंघानिया ने कहा, ‘‘दुनियाभर में केंद्रीय बैंक ब्याज दरों में बढ़ोतरी कर रहे हैं जिसका असर शेयर बाजारों पर दिख रहा है. इसके चलते एफपीआई भी ‘अंधाधुंध’ बिकवाली कर रहे हैं.’’
  • मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर-मैनेजर रिसर्च हिमांशु श्रीवास्तव ने भी कुछ इसी तरह की राय जताते हुए कहा कि बीता सप्ताह काफी घटनाक्रमों वाला है. रिजर्व बैंक ने 4 मई को अचानक रेपो रेट में 0.4 प्रतिशत की वृद्धि कर दी. इसके अलावा CRR में भी आधा फीसदी की बढ़ोतरी की गई है, जो 21 मई से लागू होगी.
  • श्रीवास्तव ने कहा कि रिजर्व बैंक के इस कदम से बाजार में जबर्दस्त प्रतिक्रिया हुई और उसके बाद से यह लगातार नीचे आ रहा है. वहीं उसी दिन फेडरल रिजर्व ने भी ब्याज दरों में आधा प्रतिशत की वृद्धि की है. यह ब्याज दरों में दो दशक की सबसे ऊंची वृद्धि है. श्रीवास्तव ने कहा कि इससे यह आशंका बनी है कि आगे ब्याज दरों में और बड़ी वृद्धि हो सकती है.

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आग कैसा रहेगा निवेशकों का रूझान

यही नहीं, बैंक ऑफ इंग्लैंड ने भी अपनी प्रमुख दरों को 2009 के बाद से अपने ऊंचे स्तर पर पहुंचा दिया है. इस अवधि में एफपीआई ने शेयरों के अलावा ऋण या बांड बाजार से भी 1,085 करोड़ रुपये निकाले हैं. सिंघानिया ने कहा कि आगे भी यह रुख कायम रहेगा और विदेशी निवेशकों की बिकवाली जारी रह सकती है.

लगातार 7 महीने तक FPI ने की थी बिकवाली

अप्रैल, 2022 तक लगातार सात महीने तक FPI भारतीय बाजारों में शुद्ध बिकवाल रहे हैं और उन्होंने शेयरों से 1.65 लाख करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की है. इसकी मुख्य वजह US फेडरल रिज़र्व द्वारा ब्याज दरों में बढ़ोतरी की आशंका के बीच खराब होती जियो-पॉलिटिकल टेंशन रही है. लगातार छह माह तक बिकवाली के बाद अप्रैल के पहले सप्ताह में एफपीआई ने भारतीय शेयर बाजारों में 7,707 करोड़ रुपये का निवेश किया था. उसके बाद से वे लगातार बिकवाली कर रहे हैं. 11 से 13 अप्रैल के दौरान कम कारोबारी सत्र वाले सप्ताह में उनकी बिकवाली शुरू हुई और यह आगे के हफ्तों में भी जारी रही.

 

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