Employee Benefit Scheme: कंपनी और कर्मियों दोनों के लिए फायदेमंद ESOP, जानिए क्या है यह और इससे जुड़ा क्या है रिस्क

Employee Benefit Scheme: कंपनी अपने कर्मियों को सैलरी के अलावा भी कई बेनेफिट्स देती है. इसमें कर्मचारी स्टॉक विकल्प योजना (Employee Stock Ownership Plan- ESOP) भी एक विकल्प है जिसके जरिए कर्मियों को अपनी कंपनी में निवेश के लिए प्रोत्साहित किया जाता है. यह कंपनी और कर्मियों दोनों के लिए फायदे का सौदा हो सकता है क्योंकि कंपनी इस योजना के तहत कर्मियों को सस्ते भाव पर अपने शेयर देती है और माना जाता है कि  शेयरों में निवेश के बाद कंपनी के प्रदर्शन पर अधिक फोकस करेंगे.

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कंपनी अपने कर्मियों को इस योजना के तहत एक तय मूल्य पर निश्चित संख्या में शेयर खरीदने का विकल्प देती है जो आमतौर पर मार्केट मूल्य से कम होता है. इसे डायरेक्ट स्टॉक, प्रॉफिट-शेयरिंग स्टॉक या बोनस के तौर पर जारी किया जाता है और इसकी शर्तें पूरी तरह कंपनी के हिसाब से तय होती है कि किसे यह सुविधा मिलेगी. इसके तहत कंपनी जारी किए जाने वाले शेयरों की संख्या, उसके भाव, लाभार्थी कर्मियों का फैसला करती है और फिर इसे एंप्लाई को ग्रांट किया जाता है और एक ग्रांट डेट भी तय की जाती है. ये शेयर एक अवधि तक ट्रस्ट फंड के पास रहते हैं जिसे वेस्टिंग पीरियड कहते हैं.

योजना के तहत शेयरों की होल्डिंग हासिल करने के लिए कर्मियों को इस पीरियड तक कंपनी से जुड़े रहना जरूरी होता है. वेस्टिंग पीरियड के बाद एंप्लाई अपने ईएसओपी को एक्सरसाइज कर सकते हैं. कंपनी के कर्मी शेयरों को पूर्व निर्धारित भाव पर खरीद सकते हैं जो मार्केट वैल्यू से आमतौर पर कम होता है. इसके अलावा वे चाहें तो इसकी बिक्री भी कर मुनाफा भी कमा सकते हैं.

  • लिक्विडिटी का रिस्क है क्योंकि इसमें एक तय डेट के पहले शेयरों की होल्डिंग के लिए एक्सरसाइज नहीं कर सकते हैं.
  • ईएसओपी के लिए टैक्स देनदारी का कैलकुलेशन पहले ही कर लेना चाहिए ताकि नेट प्रॉफिट पॉजिटिव हो.
  • अगर कंपनी का प्रदर्शन कमजोर हुआ तो शेयरों पर निगेटिव इंपैक्ट पड़ेगा.
  • कंपनी दिवालिया या किसी फर्जीवाड़े में लिप्त पाई जाती है तो यह निगेटिव है.

टैक्स देनदारी

ईएसओपी पर दो तरीकों से टैक्स देनदारी बनती है- पहला एक्सरसाइज के समय और दूसरा बेचने के समय. जब इस योजना के तहत कर्मी शेयरों को खरीदता है तो इस पर टीडीएस (टैक्स डिडक्टेड ऐट सोर्स) काटा जाता है. इसके बाद जब कर्मी इन शेयरों की बिक्री करते हैं तो मुनाफे पर टैक्स चुकाना होता है. शेयरों की बिक्री पर होल्डिंग के हिसाब से शॉर्ट टर्म कैपिटल गेन या लांग टर्म कैपिटल गेन पर टैक्स चुकाना होता है.

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