CM सिटी के डंपिंग प्वाइंटों ने दिलाया 85 वां रैंक: शहर में 242 जगह पर बने हैं डंपिंग पॉइंट, स्वच्छता सर्वेक्षण ने खोली जिम्मेदारों की पोल

 

हरियाणा की CM सिटी करनाल को स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 में तगड़ा फटका लगा था। 2021 में लगे फटके से लगा रहा था कि निगम के अधिकारियों उस समय शहर की साफ सफाई पर खूब ध्यान दिया। लेकिन सर्वेक्षण के दौरान फिर वहीं हालत शहर में दिखाई देने लगें। शहर में सफाई व्यवस्था के बिगड़े हालत होने बाद भी शहर के जिम्मेदारों को उम्मीद थी कि देश में टाप टेन शहरों में करनाल का नाम आएगा। लेकिन शनिवार देर शाम को जारी हुई स्वच्छ सर्वेक्षण 2022 की रैंकिग से टाप टने शहरों में शुमार करने का ख्वाब मुंगेरी लाल के हसीन सपने की तरह टूट गया।

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इस साल भी करनाल को सर्वेक्षण में 85वां रैंक मिला। पिछले दो सालों से करनाल का प्रदर्शन शर्मशार करने वाला रहा है। जिस तरह से जाते मानसून की एक ही बरसात ने स्मार्ट सिटी के नाम पर खर्च किए गए करोड़ो रुपए की पोल खोली थी। वैसे ही शनिवार शाम को जारी हुई स्वच्छता सर्वेक्षण की रिपोर्ट ने CM सिटी में साफ सफाई पर खर्च हो रहे करोड़ो रुपए की पोल खोल कर रख दी है। बतादे कि साफ-सफाई को लेकर साल 2020 में करनाल नगर निगम पूरे देश में 17वें स्थान पर था। उसके 2021 में 86वें रैक पर आया। इस बार एक प्वांइट उपर उठा और देश में 85 वां रैंक पर रहा। मुख्यमंत्री का विधानसभा क्षेत्र होते हुए भी शहर की सुंदरता के लिए जिम्मेदार अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों ने CM की इमेज का ख्याल भी नहीं किया। अगर हरियाणा के नगर निगमों की बात करें तो करनाल नगर निगम यहां भी तीसरे स्थान पर रहा।

शहर में बंद पड़े शौचालय का दृश्य।

शहर में बंद पड़े शौचालय का दृश्य।

इस प्रकार रहो पिछले सालों का प्रदर्शन

स्वच्छता सर्वेक्षण में करनाल नगर निगम का प्रदर्शन 2020 तक सुधरता जा रहा था। पिछले दो साल के इस खराब प्रदर्शन ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। स्वच्छता सर्वेक्षण-2021 में 86 वें रैंक पर था। वर्ष 2020 की राष्ट्रीय सूची में करनाल 17वें स्थान पर था। वर्ष 2019 में यह 24वें स्थान पर रहा था। 2017 में करनाल को 65वां स्थान व 2018 में 41वां स्थान मिला था।

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गुरुग्राम व रोहतक के बाद करनाल फिर अंबाला

​​​​​​​स्वच्छता के मामले में प्रदेश में पहला स्थान गुरुग्राम ने हासिल किया। जबकि देश में रैंकिंग 19वें स्थान पर रही है। इसी तरह से रोहतक ने दूसरा स्थान हासिल किया और राष्ट्रीय स्तर पर 38वां स्थान हासिल किया। जबकि करनाल तीसरे स्थान पर रहा और देश में 85 वें स्थान पर रहा है। वहीं इस बार अंबाला 91वें नंबर पर रहा।

2020 तक स्वच्छता मामले में गर्व से लिया जाता था करनाल का नाम

​​​​​​​कर्ण नगरी करनाल का नाम स्वच्छता के मामले में 2020 तक बड़े गर्व से लिया जाता रहा है। लेकिन पिछली उपलब्धियां इन दो वर्षो के खराब प्रदर्शन से कूड़े में ढेर हो गई है। 2020 तक करनाल को देश के कूड़ा मुक्त शहरों में थ्री स्टार का तमगा मिला था। जबकि लगातार तीन बार ओडीएफ प्लस प्लस का होने का अवसर भी मिला है।

शहर में बने डंपिंग पॉइंट का दृश्य।

शहर में बने डंपिंग पॉइंट का दृश्य।

कहने को शहर में 242 डंपिंग पॉइंट, डंपिंग प्वांइट ने खोल दी पोल

​​​​​​​अगर हम बात करे तो शहर में 242 ड़पिंग पॉइंट बनाए गए है। लेकिन शहर में आज भी जगह जगह कुडे के ढेर लगें हुए है। स्वच्छता को करनाल नगर निगम लगातार नजर अंदाज कर रहा है। शहर में शौचालयों की हालत इस बात की गवाही देती है कि उनका रखरखाव नहीं किया जा रहा। मार्केट, कॉलोनी व सेक्टरों में बिखरा कचरा कर्मचारियों की निष्ठा पर सवाल खड़ा करता है। इन सभी की पोल स्वच्छता सर्वेक्षण 2022 ने खोल कर रख दी है।

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ये थे सर्वेक्षण के पैरामीटर

​​​​​​​मंत्रालय द्वारा गोल्ड अवार्ड के लिए स्वच्छ सर्वेक्षण के कुछ पैरामीटर निर्धारित किए गए थे। इनमें वार्डो से निकलने वाले कचरे का 75 प्रतिशत से अधिक, कुल कचरे की 81 प्रतिशत से अधिक, सूखे कचरे का भी 81 प्रतिशत से अधिक निस्तारण व क्षमता होना जरूरी था। सीएनडी वेस्ट का 40 प्रतिशत से अधिक निस्तारण, कुल कचरे या वेस्ट का अधिकतम 15 प्रतिशत लैंडफिल में जाना तथा ओडीएफ प्लस-प्लस शामिल थे।

ये थे छोटे कस्बों के पैरामीटर

​​​​​​​नीलोखेड़ी जैसे छोटे कस्बों के लिए भी पैरामीटर थे, जो सिल्वर अवार्ड के लिए थे। इनमें वार्डों से निकलने वाले कचरे का 55 प्रतिशत से अधिक निस्तारण, कुल कचरे की 71 प्रतिशत से अधिक निस्तारण क्षमता जरूरी था। सूखे कचरे का भी 71 प्रतिशत से अधिक निस्तारण व क्षमता, CND वेस्ट का 30 प्रतिशत से अधिक निस्तारण, कुल कचरे या वेस्ट का अधिकतम 20 प्रतिशत लैंडफिल में जाना तथा ODF प्लस शामिल रहे।

 

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