रामसेवा के लिए सफीदों से भी गई थी 4 कारसेवकों की टोली दिन-रात जय श्रीराम के नारे लगाकर जेल कर्मियों की नींद कर दी थी हराम

एस• के• मित्तल   
सफीदों,  आगामी 22 जनवरी को अयोध्या में होने वाले श्री राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम को लेकर देश के ही नही बल्कि पूरी दुनिया के लोग उत्साहित नजर आ रहें हैं। वस्तुत: यह दिन उन कार सेवकों के संघर्ष के नाम समर्पित होना चाहिए जिन्होंने युवावस्था में अपना घर-परिवार छोड़कर उस समय की सरकार व विधर्मियों से लोहा लिया और जेल में भी रहे।
इसका एक उदाहरण चार रामभक्त कार सेवकों की सफीदों से गई एक टोली भी थी। दरअसल सफीदों से रामभक्त कारसेवक एडवोकेट विजयपाल, रामरतन बुढ़ाखेड़ा, मास्टर रघुबीर शरण व पंडित रामचंद्र मिलकर साल 1990 में श्री राममंदिर संघर्ष समिति के आह्वान पर अयोध्या के लिए रवाना हुए। जिनमें से एक कारसेवक विजयपाल सिंह ने बताया कि उस समय के संघर्ष की कहानी का आज भी जब जिक्र होता है तो खुद भी रोमांचित हो उठते हैं। उन्होंने बताया कि अयोध्या पहुंचने के लिए बड़े स्तर पर रणनीति बनाई गई थी। श्री राममंदिर संघर्ष समिति के आह्वान पर 19 नवंबर 1990 को सफीदों से जींद पहुंचे जहां से बस में सवार होकर दिल्ली पहुंचे।
जिसके बाद दिल्ली से ट्रेन के माध्यम से लखनऊ के लिए निकले, लेकिन रास्ते में मुलायम सिंह सरकार द्वारा कार सेवकों को अयोध्या न पहुंचने देने के लिए सख्ती की जा रही थी, पुलिस सबको उसका गंतव्य स्थान पूछकर गिरफ्तार के रही थी। कारसेवकों ने पहले से यह सुनिश्चित कर लिया था कि यदि टोली में से कोई गिरफ्तार हो जाता है तो बाकी के साथी भी गिरफ्तारी देंगे। विजयपाल सिंह ने बताया कि इस दौरान एक पुलिस कर्मचारी मुझे भी पूछने लगा कि कहां जाना है तो मैं लखनऊ के स्थान पर कानपुर कह दिया लेकिन बाकी साथियों की गिरफ्तारी होने के बाद मैंने भी अपनी गिरफ्तारी दे दी। इसके बाद उन्होंने हमें 14 दिन के लिए सहारनपुर जेल भेज दिया।

जेल में आधा लड्डू खाकर बिताए 36 घंटे
विजयपाल सिंह ने बताया कि जब उन्हें गिरफ्तार करके सहारनपुर जेल ले जाया जा रहा था तो रास्ते में उन्हें पानी तक नहीं दिया गया। सहारनपुर जेल पहुंचने के बाद भी अगले दिन तक खाना नहीं दिया गया। इस दौरान जेल में एक कार सेवक के पास कुछ लड्डू थे, तो सभी ने आधा-आधा लड्डू खाकर दो दिन बिताए। उन्होंने जेल में रहते हुए दिन-रात जय श्रीराम के नारे लगाकर जेल कर्मियों की नींद हराम कर दी थी। उन्होंने बताया कि सैकड़ों कारसेवक अयोध्या से वापस घर नहीं जा पाए थे।

जेल में रहते हुए अखबार के माध्यम से पता चला कि उस समय की मुलायम सिंह सरकार ने कार सेवकों पर गोलियां चलवाई। गोली से मरने वाले कारसेवकों की लाशों को रेत की बोरियों में भरकर सरयू नदी में डाल दिया गया था, जिससे वे बहुत दुखी हुए थे लेकिन आज खुशी इस बात की है कि कारसेवकों का बलिदान व्यर्थ नहीं गया। आज कारसेवकों के बलिदान के कारण ही अयोध्या में भव्य श्रीराम मंदिर बन कर तैयार हो गया है। उससे भी ज्यादा खुशी की बात है कि वे अपने जीवन मे मंदिर बनता हुआ देख रहे हैं। मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम भी बहुत नजदीक है जिसका पूरा विश्व साक्षी बनेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!