जीवन में हर अवसर का सदुपयोग करना चाहिए: उपेंद्र मुनि श्रद्धालुओं की जयघोष के साथ जैन स्थानक पहुंचे जैन संत उपेंद्र मुनि

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एस• के• मित्तल   
सफीदों,   सफीदों की जैन स्थानक में वीरवार को आचार्य श्री शिव मुनि महाराज के अनुगामी जैन संत उपेंद्र मुनि महाराज ठाणे-4 पहुंचे। उपेंद्र मुनि को समाज के लोग जयघोष के साथ जैन स्थानक लेकर पहुंचे। जैन स्थानक में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उपेंद्र मुनि महाराज ने कहा कि अनेकों जन्मों को पुण्य संचय करने के बाद मनुष्य जीवन की प्राप्ति हुई है। इसे विषय भोगों में मस्त होकर कभी मत गंवाओ।
इसमें पाप का संचय मत करो। व्यापारिक क्षेत्र में वहीं व्यक्ति बुद्धिमान कहलाता है जो अपनी पूंजी को बढ़ाता चला जाए। पूंजी घटाने वाले व्यापारी को मुर्ख कहा जाता है। ठीक इसी तरह जिस मानव धर्म और पुण्य के प्रताप से तुम्हें मनुष्य चोला मिला है, निरोग शरीर और परिपूर्ण इन्द्रियां मिली है उससे धर्म को बढ़ाने का प्रयत्न करो। सख्च को समझों कि आज धर्माचरण करने की जो सुविधा तुम्हें प्राप्त है वह कल नहीं रहेंगी। इसीलिए मैं जोर देकर कहता है कि भविष्य के भरोसे मत रही। कुछ कर गुजरने का समय केवल वर्तमान है। उन्होंने कहा कि तुम्हारी उम्र बीतती जा रही है। उम्र हर पल, हर क्षण कम हो रही है लेकिन तुम्हें ख्याल ही नहीं है।
अक्सर मनुष्य सोचता है कि मै सदा यहीं रहुंगा। इसी कारण तो वह गरीबों को कुचल रहा है और मसल रहा है लेकिन कुछ समय के बाद यह सारी मस्ती और अकड़ काफर हो जाएगी और अपने ही हाथों से किए गए कुकृत्य मनुष्य को उसके हाथों से किए पापों का पश्चाताप करने को विवश करेंगे। याद रखने योग्य है कि जब एक बकरा कसाई की छूरी के नीचे आ जाता है तो वह मैं मैं करके छटपटाता है लेकिन कसाई से उसकी रक्षा नहीं होती। मनुष्य को सोचना चाहिए कि जान बूझकर इस हालत में हमें नहीं रहना है। अत: मानव को सम्भलकर होगा, सोच को बदलना होगा, अपनी चाल ढाल को बदलना होग और समाज में भलाई के काम करने होंगे।
मुनि उपेंद्र ने कहा कि मनुष्य को भगवान श्री कृष्ण की तरह तीन खण्ड का राज्य भी मिल जाए, स्वर्ग के भोगोपभोग भी प्राप्त हो जाएं तो भी तुम्हें सब्र नहीं होगा तो फिर ऐसे भोग भोगने से क्या लाभ है? अन्तत: सन्तोष किए बिना तेरा कदापि निस्तार नहीं होगा। आजकल के भोग तो है ही, किस गिनती में, मगर जब उत्तम से उत्तम भोग भोगे, तब भी सन्तोष नहीं हुआ तो कषायों को कम करके समभावों की ज्योत जगा लो ताकि जीवन का कल्याण हो जाए। मुनि उपेंद्र ने कहा कि आगे आनन्द में बैठकर जब याद करोगे कि पहले आलस्य नहीं किया तो आज मजे में है और यदि यह समय खो दिया तो निश्चित ही बुरी तरह पछताना पड़ेगा।
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