सभी गतियों में मानव गति सबसे सर्वश्रेष्ठ है: मुनि नवीन चन्द्र

 

एस• के• मित्तल   
सफीदों,    नगर की श्री एसएस जैन स्थानक में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मधुरवक्ता नवीन चन्द्र महाराज एवं श्रीपाल मुनि महाराज ने कहा कि इस धरा पर मौजूद सभी गतियों में मानव गति सबसे सर्वश्रेष्ठ है। हमें मानव जीवन मिला है तो हमें इसकी कीमत को समझना होगा। मनुष्य सृष्टि का सबसे महान प्राणी है क्योंकि उसे भगवान ने सोचने व समझने की सबसे बड़ी शक्ति प्रदान की है।
जीवन पल-पल बीत रहा है तो उसे व्यर्थ ना जाने दे और उसे सद्कर्मों में लगाए। जिस प्रकार किसान खेत में जो फसल लगाता है उसे वहीं फल प्राप्त होता है। ठीक उसी प्रकार जैसे हम जीवन में कर्म करेंगे वैसे ही हमें कर्मों के अच्छे व बुरे फल प्राप्त होंगे। उन्होंने कहा कि दान देने से धन नहीं घटता बल्कि उसमें ओर अधिक वृद्धि होती है। सेवा कार्यों व दान से बड़ा जीवन में कोई धर्म नहीं है। सारे धर्मग्रंथ और पंथ मानव जीवन की महिमा का वर्णन करते हैं। एक मन है, एक आत्मा है और एक शरीर है। तीनों अलग-अलग होने के बावजूद भी सभी के अपने-अपने कार्य हैं। इनमें से एक के बिना भी शरीर का संचालन नहीं हो सकता। जिनके पास आत्मा और शरीर है पर मन नहीं है, वे कामयाब नहीं हो सकते। मुनि नवीन चंद्र ने महाभारत युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि कुरुक्षेत्र की रणभूमि में अर्जुन के पास शरीर और आत्मा तो थी लेकिन युद्ध करने के लिए मन नहीं था। जिस पर भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन का मनोबल देते हुए कहा कि तुम कमजोर नहीं हो और युद्ध करना तुम्हारा धर्म है। कहने का भाव यह है कि अगर मन कमजोर है तो कुछ होने वाला नहीं है।
अगर मन मजबूत है तो कोई भी काम आसानी से किया जा सकता है। अगर मनुष्य में जब मुक्ति की इच्छा प्रबल होती है तब उसके अंदर सद्गुणों का प्रवेश होता है। शरीर एक मकान के समान है और इसमें आत्मा निवास करती है। शरीर के साथ-साथ आत्मा की सफाई भी बेहद जरूरी है।

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