एस• के• मित्तल
सफीदों, नगर की श्री एसएस जैन स्थानक में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मधुरवक्ता नवीन चन्द्र महाराज एवं श्रीपाल मुनि महाराज ने कहा कि धर्म ही सुखी जीवन का प्रमुख आधार है। धर्म मनुष्य को जीवन को नई ऊंचाईयों पर ले जाता है। सुख, समृद्धि और शांति का भी यही एक आधार है। धन और धर्म एक ही राशि हैं। धन के पीछे दौड़ने से इंसान सुख को नहीं पा सकता लेकिन धर्म करने से पुण्य बलवान होगा और पुण्य के प्रभाव से घर परिवार में सुख शान्ति आती हैं।
सफीदों, नगर की श्री एसएस जैन स्थानक में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मधुरवक्ता नवीन चन्द्र महाराज एवं श्रीपाल मुनि महाराज ने कहा कि धर्म ही सुखी जीवन का प्रमुख आधार है। धर्म मनुष्य को जीवन को नई ऊंचाईयों पर ले जाता है। सुख, समृद्धि और शांति का भी यही एक आधार है। धन और धर्म एक ही राशि हैं। धन के पीछे दौड़ने से इंसान सुख को नहीं पा सकता लेकिन धर्म करने से पुण्य बलवान होगा और पुण्य के प्रभाव से घर परिवार में सुख शान्ति आती हैं।
उन्होंने कहा कि जीवन में परम सुखी होने के लिए त्याग की आवश्यकता होती है। हमें परिग्रह का त्याग करना चाहिए। उन्होंने कहा पूर्ण परिग्रह का त्याग ही जैन मुनियों का आधार है। किसी भी बाह्य वस्तु का आलंबन नहीं लेते, सूई बराबर भी परिग्रह उनके साथ नहीं होता है। दीन दुखी, अनाथ, विधवा, साधर्मी भाई-बहनों की गुप्त सहायता करते रहना गृहस्थ का सबसे बड़ा धर्म है। मनुष्य को अपनी शक्ति के अनुसार कुछ ना कुछ दान अवश्य करते रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि त्याग साधु संतों का धर्म है और दान श्रावक का धर्म है। संसार में सभी धर्म को मानने वाले लोग दान की बात को स्वीकार करते हैं। आजकल लोग अपनी इच्छाओं की पूर्ति में लगे हुए हैं। अपने पैसे का दुरुपयोग करते हैं।