एस• के• मित्तल
सफीदों, नगर की श्री एसएस जैन स्थानक में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मधुरवक्ता नवीन चन्द्र महाराज एवं श्रीपाल मुनि महाराज ने कहा कि सच्चे श्रावक बनने के लिए 14 नियम और 12 व्रत होना जरुरी है। दृढ़ निश्चय के साथ व्रत ग्रहण करेंगे ही सच्चा श्रावक बना जा सकता है।
धान के फसल अवशेष निपटान के लिए पाउडर डिकंपोजर का किया गया परीक्षण
उन्होंने कहा कि भूख लगना वृत्ति है तो भोजन करना प्रवृत्ति है। क्रोध आना वृत्ति है और क्रोध करना प्रवृत्ति है। उन्होंने कहा कि जब तक जीवन है तब तक प्रवृत्तियां है। प्रवृत्तियों को छोड़ा नहीं जा सकता लेकिन वृत्तियों को मोड़ा जा सकता है। जैसे-जैसे लाभ बढ़ता है वैसे-वैसे व्यक्ति का लोभ बढ़ता जाता है। उन्होंने कहा कि मानव जीवन पानी में उठे बुलबुले की भांति होता है। कब समाप्त हो जाए कोई भरोसा नहीं। मानव अपने जीवन में भगवान की भक्ति करता है तो वह अपना जीवन पवित्र बना लेता है। बड़े भाग्य से मानव शरीर मिलता है भक्ति के बिना सब कुछ नष्ट हो जाता है। मनुष्य का जीवन कल्याण करने के लिए मिला है। हमारा शरीर नाशवान है अविनाशी तो भगवान है परमात्मा का नाम है।
इसलिए मानव को अपने जीवन में परमात्मा की भक्ति करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मनुष्य को जीवन में सदैव अच्छे कार्य करने चाहिए और सबके भले की सोचनी चाहिए। इंसान को कभी हिंसा नहीं करनी चाहिए और सभी जीवों से प्यार करना चाहिए।