एस• के• मित्तल
सफीदों, दी प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां (पैक्स) कर्मचारी महासंघ हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष भगवंत मान ने कर्मचारियों से जनसम्पर्क के दौरान आज यहां बताया कि दशकों से सहकारी बैंकों की पैक्स संस्थाओं के साथ बेईमानी का सिलसिला यूं ही जारी है और बार-बार गुहार लगाए जाने के बावजूद सरकार आंखें बंद किए हुए है।
सफीदों, दी प्राथमिक कृषि सहकारी समितियां (पैक्स) कर्मचारी महासंघ हरियाणा के प्रदेश अध्यक्ष भगवंत मान ने कर्मचारियों से जनसम्पर्क के दौरान आज यहां बताया कि दशकों से सहकारी बैंकों की पैक्स संस्थाओं के साथ बेईमानी का सिलसिला यूं ही जारी है और बार-बार गुहार लगाए जाने के बावजूद सरकार आंखें बंद किए हुए है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 1978 से वर्ष 2005 तक अनेक जगह जिला सहकारी बैंक के कर्मचारियों द्वारा गबन की गई पैक्स की राशि पैक्सों को लौटाई जानी चाहिए लेकिन अभी तक नहीं लौटाई गई है। शर्मा ने कहा कि पैक्स के ऋणी सदस्यों को राज्य व केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही चार व तीन प्रतिशत की ब्याज राहत राशि सहकारी बैंकों में पैक्सों से जमा करा ली जाती है जो लंबे समय तक पैक्सों को रिलीज नहीं की जाती जिसके कारण अनेक पैक्सों को घाटा हो रहा है। प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि उनकी मांगों में वर्ष 2019 की वेतनमान खामी व विभागीय कमेटी रिपोर्ट आदेश जारी करना, किसानों की अल्पकालीन कृषि ऋण सीमा 3 लाख करना, पुराने सदस्यों के 10 वर्ष से लंबित व नये सदस्यों के हदकर्जे बनाना, पदोन्नित का कोटा 50 प्रतिशत बिना शर्त जारी करना, सहकारी बैंकों द्वारा पैक्सों से नियम से अधिक ब्याज वसूली की राशि पैक्सों को लौटाना, अनुकम्पा आधार पर मृतक कर्मचारी के वारिस को नौकरी देना, एलटीसी सुविधा देना व सेवानिवृति आयु 60 वर्ष निर्धारित करना हैं।
उंन्होने बताया कि इन मांगों के लिए 18 अक्तूबर से 8 नवम्बर तक सभी जिलों में मुख्यमंत्री व अन्य उच्चाधिकारियों के नाम ज्ञापन भेजने का अभियान चलाया जाएगा। शर्मा ने बताया कि 18 अक्तूबर को सिरसा से शुरू होकर इस कार्यक्रम का समापन 8 नवम्बर को यमुनानगर में होगा और उसके बाद कुछ समय सरकार की प्रतीक्षा के निर्णय की प्रतीक्षा करके अगला कार्यक्रम बनाया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में सहकारिता की आधार पैक्सों को बचाने की दिशा में सरकार को उनकी मांगों पर तत्काल प्रभाव से गौर करना चाहिए।