संथारा साधिका परमेश्वरी देवी का मनाया स्मृति दिवस संथारा आत्महत्या नहीं बल्कि मृत्यु का महोत्सव है: मुनि नवीन चंद्र

एस• के• मित्तल 
सफीदों,      संथारा साधिका परमेश्वरी देवी का स्मृति दिवस रविवार को नगर की एसएस जैन स्थानक में मनाया गया। स्मृति दिवस पर मधुरवक्ता नवीन चन्द्र महाराज एवं श्रीपाल मुनि महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ। वहीं संथारा साधिका के तप को लेकर गौसेवा आयोग हरियाणा के चेयरमैन श्रवण गर्ग, एसएस जैन सभा के प्रधान एडवोकेट एमपी जैन, सुभाष जैन, सत्यवती जैन, रविंद्र जैन, सुशील जैन व रितू जैन सहित अनेकों वक्ताओं के द्वारा गुणानुवादन किया गया। इस दौरान मंजू जैन का माताजी की विशेष सेवाओं को लेकर अनुमोदन किया गया।
अपने संबोधन में  मधुरवक्ता नवीन चन्द्र महाराज एवं श्रीपाल मुनि महाराज ने कहा कि श्राविका परमेश्वरी देवी जो किया वो कोई विरला ही कर सकता है। रो-रोकर और हाय-हाय करके सब मर जाते हैं लेकिन उन्होंने मौत को भी चुनौती देने का काम किया है। कुछ मुर्ख लोग संथारा को आत्महत्या समझ लेते हैं। संथारा आत्महत्या नहीं बल्कि मृत्यु का महोत्सव है। आत्महत्या किसी के प्यार में, किसी से द्वेष में, असफलता मिलने पर, नाराजगी में, अपने से दुखी होकर या दूसरों से दुखी होकर की जाती है।
जबकि संथारा पूरे होशो-हवाश में सबसे श्रमायाचना करके, सबकुछ त्यागकर, परिवार से, शरीर से मौह त्यागकर, इच्छाओं को खत्म करके खुशी-खुशी किया जाता है। जब लगे कि ये शरीर बगावत कर रहा है, सब तरह के इलाज व्यर्थ हो रहे हैं, उम्र परिपक्व हो चुकी है, तब शांत मन से संथारा ग्रहण किया जाता है। परमेश्वरी देवी ने भी अढ़ाई महीने की संलेखना के बाद संथारा पूरी चेतना के साथ ग्रहण किया। इस अवसर पर युवा तपस्वी रोहित जैन का 35 दिन आयंबिल तप की अराधना पर श्री संघ द्वारा अभिनंदन किया गया।

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