गुरुग्राम में लघु सचिवालय में धरना देते हुए ग्रामीण।
हरियाणा के गुरुग्राम में नगर निगम द्वारा की जा रही तोड़फोड़ के विरोध में गांव नाथुपुर सहित अनेक गांव के ग्रामीणों ने लघु सचिवालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंप कर मांग रखी कि निगम द्वारा की जा रही तोड़फोड़ तुरन्त बंद की जाए। अगर ऐसा नही हुआ तो ग्रामीण आंदोलन को मजबूर होंगे। ग्रामीणों ने नारा दिया गांव बचाओ घर बचाओ।
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दरअसल नगर निगम ने साइबर सिटी के 12 गांवों में पंचायत की जमीन को सरकारी जमीन बताते हुए खाली करने का नोटिस जारी किया है। नगर निगम का कहना है कि यह जमीन सरकार की है, जिस पर ग्रामीणों ने कब्जा कर लिया है।
ग्रामीण बड़े आंदोलन के लिए तैयार
वही ग्रामीणों की माने तो वह लोग कई सालों से बल्कि दादा-परदादा के समय से यहा रह रहे है। उनके पुश्तेनी मकान है, जिन्हें नगर निगम अवैध कब्जा बता कर न केवल तोड़फोड़ कर रहा है बल्कि उनके सर पर से छत छीनने का काम कर रहा है। जबकि सरकार को लाल डोरा बढ़ाना चाहिए। ग्रामीणों की माने तो नगर निगम ने अगर तोड़फोड़ की कार्रवाई को बंद नही किया तो आंदोलन होगा।
वही ग्रामीणों की माने तो वह अपनी जमीन किसी भी कीमत पर नही देंगे चाहे उन्हें अपनी जान ही क्यों न देनी पड़े वह पीछे नही हटेंगे। इसी को लेकर एक दिवसीय धरने के आयोजन किया गया है। सरकार अगर अब भी नही चेती तो ग्रामीण बड़े आंदोलन के लिए तैयार है।
जान चली जाए पर नहीं देंगे जमीन
ग्रामीणों का एक ही नारा है कि भले ही जान चली जाए पर जमीन नही देंगे। ऐसे में अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में नगर निगम और ग्रामीणों के बीच टकराव क्या रंग दिखता है। फिलहाल तो न तो नगर निगम पीछे हटने को तैयार है और न ही ग्रामीण।
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गुरुग्राम लघु सचिवालय में ग्रामीणों का धरना: नगर निगम की तोड़फोड़ का विरोध में उतरे; गांव बचाओ, घर बचाओ का दिया नारा
गुरुग्राम में लघु सचिवालय में धरना देते हुए ग्रामीण।
हरियाणा के गुरुग्राम में नगर निगम द्वारा की जा रही तोड़फोड़ के विरोध में गांव नाथुपुर सहित अनेक गांव के ग्रामीणों ने लघु सचिवालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया और राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंप कर मांग रखी कि निगम द्वारा की जा रही तोड़फोड़ तुरन्त बंद की जाए। अगर ऐसा नही हुआ तो ग्रामीण आंदोलन को मजबूर होंगे। ग्रामीणों ने नारा दिया गांव बचाओ घर बचाओ।
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ग्रामीण बड़े आंदोलन के लिए तैयार
वही ग्रामीणों की माने तो वह लोग कई सालों से बल्कि दादा-परदादा के समय से यहा रह रहे है। उनके पुश्तेनी मकान है, जिन्हें नगर निगम अवैध कब्जा बता कर न केवल तोड़फोड़ कर रहा है बल्कि उनके सर पर से छत छीनने का काम कर रहा है। जबकि सरकार को लाल डोरा बढ़ाना चाहिए। ग्रामीणों की माने तो नगर निगम ने अगर तोड़फोड़ की कार्रवाई को बंद नही किया तो आंदोलन होगा।
वही ग्रामीणों की माने तो वह अपनी जमीन किसी भी कीमत पर नही देंगे चाहे उन्हें अपनी जान ही क्यों न देनी पड़े वह पीछे नही हटेंगे। इसी को लेकर एक दिवसीय धरने के आयोजन किया गया है। सरकार अगर अब भी नही चेती तो ग्रामीण बड़े आंदोलन के लिए तैयार है।
जान चली जाए पर नहीं देंगे जमीन
ग्रामीणों का एक ही नारा है कि भले ही जान चली जाए पर जमीन नही देंगे। ऐसे में अब देखना होगा कि आने वाले दिनों में नगर निगम और ग्रामीणों के बीच टकराव क्या रंग दिखता है। फिलहाल तो न तो नगर निगम पीछे हटने को तैयार है और न ही ग्रामीण।
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