एस• के• मित्तल
जींद, डीसी डॉ. मनोज कुमार ने बताया कि अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के माध्यम से पात्र व्यक्ति वित्तीय सहायता प्राप्त कर सकता है और अपनी आजीविका के साधन विकसित कर सकता है। निगम के माध्यम में अनुसूचित जाति के लोगों की भलाई के लिए विभिन्न प्रकार की वित्तीय सहायता से संबंधित योजनाएं चलाई जा रही हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार द्वारा अनुसूचित जाति के लोगों के जीवन स्तर को बेहतर करने के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं। लोगों की भलाई की सोच को मूर्त रूप देते हुए सरकार की ओर से हरियाणा अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम द्वारा अनुसूचित जाति के परिवारों के कल्याण के लिए योजनाओं का क्रियान्वयन किया जाता है। निगम की ओर से चलाई जा रही इन योजनाओं का मुख्य उद्देश्य अनुसूचित जाति के परिवारों के सदस्यों को वित्तीय सहायता के माध्यम से आजीविका साधन उपलब्ध कराकर उनके जीवन स्तर को बेहतर करना है। डीसी ने बताया कि हरियाणा अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम द्वारा बैंक के सहयोग से अनुसूचित जाति के परिवारों को वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जाती है। उन्होंने बताया कि उक्त परिवारों को विभिन्न योजनाओं जैसे-पशुपालन, हथकरघा, किरयाने की दुकान, कपड़े की दुकान, ई-रिक्शा/साइकिल मरम्मत की दुकान, बैंड पार्टी, आटा चक्की, दरी बनाना, चमड़ा और चमड़े के कार्य, फोटोग्राफी तथा ई-रिक्शा इत्यादि के लिए डेढ़ लाख रुपए तक की वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जाती है।
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उन्होंने बताया कि निगम द्वारा कुल योजना लागत का 50 प्रतिशत अनुदान के रूप में (अनुदान की अधिकतम राशि दस हजार रुपए है) दस प्रतिशत सीमांत धन के रूप में तथा शेष बैंकों से ऋण के रूप में उपलब्ध करवाई जाती है। सीमांत धन चार प्रतिशत वार्षिक दर से दिया जाता है, जिसकी वसूली साढ़े पांच वर्षों में छमाही बराबर किस्तों में की जाती है। पहले छ: माह में केवल ब्याज की वसूली की जाती है।
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