यूनियन बैंक में 17 लाख का फर्जीवाड़ा का एक और मामला दर्ज

2 के खिलाफ बैंक मैनेजर ने करवाई एफआईआर दर्ज

एस• के• मित्तल
सफीदों,     सफीदों के रेलवे रोड़ पर स्थित यूनियन बैंक में फर्जी कागजातों के आधार पर फिर से 17 लाख रूपए का लोन लेकर डकारने का मामला सामने आया है। बैंक के प्रबंधक दीनदयाल ने दो के खिलाफ पुलिस में एफआईआर दर्ज करवाई है। सफीदों पुलिस को गांव मुआना के सुरेन्द्र व भूपेन्द्र के खिलाफ शिकायत देकर कहा कि आरोपियों ने कोरपोरेशन बैंक रेलवे रोड सफीदों शाखा में आकर बताया कि वे रकबा वाका गांव मुआना की खेवट न. 1137 खाता न. 1532 ता 1533 कुल रकबा 351 कनाल 7 मरले में 87 कनाल 18 मरले का बरूवे जमाबन्दी साल 2015-16 के अनुसार मालिक व काबिज है व कृषि कार्य के लिए बैंक से लोन लेना चाहते है। जिसके लिए उन्होंने वर्ष 2005-06, 2010-11, 2015-16 की जमाबन्दी व गिरदवारी की सत्यापित कोपी पेश की थी, जोकि बाद मे फर्जी पाई गई। उनके द्वारा अपनी जमीन के सम्बन्ध में एक सर्च रिपोर्ट व एनओसी पेश की गई, जिसमें जमीन पर किसी प्रकार का कोई ऋण दिखाया नहीं गया था, जबकी उनके द्वारा रपट न. 609 दिनांक 30 अप्रैल 2015 के तहत 70 लाख रूपए का ऋण कोटक महेन्द्रा बैंक असंध से लोन हुआ था। आरोपियों के द्वारा कोरपोरेशन बैंक सफीदों के हक में जो रहननामा का इन्तकाल पेश किया था वह फर्जी था। आरोपीगण द्वारा यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया (पूर्व के कोरपोरशन बैंक) के साथ फर्जी दस्तावेज के आधार पर 17 लाख रूपए का लोन लेकर फर्जीवाड़ा किया है। आरोपी सुरेन्द्र द्वारा 8,78,000 रूपए की केसीसी लिमिट कोरपोरेशन बैंक पिल्लुखेडा से पहले ही ली हुई थी। इसी प्रकार आरोपी भूपेन्द्र ने भी 7,10,000 रूपए की केसीसी लिमिट कोरपोरेशन बैंक पिल्लुखेडा से ली हुई थी। आरोपियों के द्वारा फर्जी रिवन्यू रिकोर्ड व फर्जी सर्च रिपोर्ट तैयार करके बैंक में दिया गया जिसमे 70 लाख रूपए, 8,78,000 रूपए व 7,10,000 रूपए के ऋण के संम्बंध में कोई उस फर्जी रिकोर्ड/फर्जी दस्तावेज मे कोई जिकर ना था। इस प्रकार आरोपियों के द्वारा फर्जी व झूठे दस्तावेजों के आधार पर बैंक के साथ एक षडय़ंत्र के तहत 17 लाख रूपए हड़प लिए। रहननामा होने के बाद बैंक ने उनको रहननामे का इन्द्राज रिकार्ड माल में करवाने बाबत कहा था जिस पर उन्होंने एक मुटेशन लैटर बैंक प्रस्तुत किया था जिस पर हल्का पटवारी की रिकार्ड माल में इन्द्राज बाबत लिखित व हस्ताक्षर थे। मुटेशन लैटर दिनांक 10 जनवरी 2017 प्रस्तुत करने के बाद बैंक द्वारा दिनांक 21 फरवरी को 17 लाख रूपए का सीसीसीके  का लोन वितरित किया गया था। बाद में यह मुटेशन लैटर भी फर्जी पाया गया। आरोपियों के द्वारा कृषि लोन की अदायगी समय पर ना की गई तथा बैंक द्वारा उनका खाता बंद कर दिया गया और एनपीए कर दिया गया। शिकायत के आधार पर पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 419, 420, 467, 468 व 471 के तहत मामला दर्ज कर लिया है।

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