तेल की कीमतों में उछाल से इसकी मांग पर नकारात्मक असर दिख रहा है. इस महीने अप्रैल के शुरुआती 15 दिनों में अब तक महंगे भाव के चलते पेट्रोल-डीजल की बिक्री में गिरावट रही. मार्च के शुरुआती 15 दिनों की तुलना में पेट्रोल की बिक्री 9.7 फीसदी और डीजल की बिक्री 15.6 फीसदी गिर गई. यहां तक कि कोरोना महामारी के दौरान रसोई गैस एलपीजी की बिक्री में तेजी दिख रही थी, उसकी भी बिक्री मार्च के शुरुआती 15 दिनों की तुलना में इस महीने में अब तक 1.7 फीसदी कम बिकी. इसका खुलासा इंडस्ट्री के प्रारंभिक आंकड़ो से हुआ है.
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16 दिनों में रिकॉर्ड महंगा हुआ तेल
उत्तर प्रदेश समेत देश के पांच राज्यों में चुनाव के चलते कच्चे तेल के दाम में उछाल के बावजूद करीब साढ़े चार महीने तक तेल की कीमतें स्थिर रही. 137 दिनों के बाद सरकारी तेल कंपनियों ने 22 मार्च को तेल महंगा करना शुरू किया और साढ़े चार महीनों में कच्चे तेल के भाव में 30 डॉलर प्रति बैरल की बढ़त का भार ग्राहकों पर डालना शुरू किया. तेल कंपनियों ने 22 मार्च से लेकर 6 अप्रैल तक पेट्रोल और डीजल के दाम प्रति लीटर 10 रुपये तक बढ़ाए. यह पिछले 20 वर्षों में जब से तेल की कीमतें डीरेगुलेटेड हुई हैं, तब से 16 दिनों में सबसे अधिक बढ़ोतरी है.
वहीं 22 मार्च को रसोई गैस भी 50 रुपये प्रति सिलिंडर महंगा होकर 949.50 रुपये के भाव पर पहुंच गया जो सब्सिडाइज्ड फ्यूल के लिए अब तक तक सबसे अधिक भाव है. हवाई ईंधन भी 1,13,202.33 रुपये प्रति किलोलीटर की रिकॉर्ड ऊंचाई पर पहुंच गए हैं जिसके चलते माहवार अप्रैल के शुरुआती 15 दिनों में इसकी बिक्री 20.5 फीसदी गिर गई.
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सालाना आधार पर तेल की बिक्री बढ़ी लेकिन एलपीजी की घटी
- मार्च 2022 के शुरुआती 15 दिनों की तुलना में इस महीने के शुरुआती 15 दिनों में सरकारी तेल कंपनियों ने पेट्रोल 9.7 फीसदी कम बेची लेकिन अगर सालाना आधार पर देखें तो वर्ष 2021 के समान अवधि की तुलना में 12.1 फीसदी और 2020 के समान अवधि की तुलना में 19.6 फीसदी अधिक पेट्रोल बेची. 90 फीसदी पेट्रोल सरकारी तेल कंपनियां बेचती हैं और उन्होंने इस महीने के शुरुआती 15 दिनों में 11.2 लाख टन पेट्रोल बेची.
- वहीं देश में सबसे अधिक बिकने वाले ईंधन डीजल की बात करें तो अप्रैल के शुरुआती 15 दिनों में सरकारी तेल कंपनियों ने 30 लाख टन डीजल बेची जो पिछले साल 2021 के समान अवधि की तुलना में 7.4 फीसदी अधिक है. मार्च 2022 के शुरुआती 15 दिनों में चुनाव बाद भाव बढ़ने की आशंका के चलते पेट्रोल की बिक्री 18 फीसदी और डीजल की बिक्री 23.7 फीसदी अधिक हुई थी.
- एलपीजी की बात करें तो अप्रैल के शुरुआती 15 दिनों में 10.2 लाख टन खपत रही जो पिछले साल के समान अवधि की तुलना में 4 फीसदी कम है.