चुनाव आयोग ने पार्षद रामभरोसे दास को किया था अयोग्य घोषित
सफीदों, (एस• के• मित्तल) : आगामी 2 मार्च को प्रदेश में होने वाले निकाय चुनावों के दौरान सफीदों के वार्ड नंबर 14 में पार्षद पद का उपचुनाव होगा। इस उपचुनाव की घोषणा हरियाणा चुनाव आयोग द्वारा की जा चुकी है, और इसके बाद सफीदों पालिका में राजनीतिक माहौल गर्मा गया है। बता दें कि फर्जी जाति प्रमाण पत्र के आधार पर नगर पालिका पार्षद का चुनाव लड़ने के मामले में हरियाणा चुनाव आयोग के द्वारा पार्षद रामभरोसे को को पार्षद पद से हटा दिया था।
क्या था मामला
सफीदों नगरपालिका में वार्ड नंबर 14, जो अनुसूचित जाति (एससी) के लिए आरक्षित था, में 22 जून 2022 को हुए नगरपालिका चुनावों में रामभरोसे ने विजय प्राप्त की थी। वह अजीत पाथरी के मुकाबले विजेता बने थे। लेकिन चुनाव परिणाम के बाद, अजीत पाथरी ने रामभरोसे के जाति प्रमाण पत्र पर सवाल उठाए। अजीत का आरोप था कि रामभरोसे ने फर्जी जाति प्रमाण पत्र का उपयोग किया था, जिसमें अपनी जाति धानक दर्शायी थी, जबकि वास्तविक रूप से उनकी जाति ताती है। अजीत ने इस मामले की शिकायत चुनाव आयोग, उपायुक्त जींद और एसडीएम सफीदों को की थी। उनका कहना था कि रामभरोसे के पिता, देबूदास, एफसीआई में कार्यरत थे और बिहार से सफीदों आए थे। पिता देबूदास की सर्विस बुक में उनकी जाति ताती है और रामभरोसे के स्कूली रिकार्ड में भी जाति ताती दर्ज है लेकिन उसने फर्जी आधार पर अपने जाति प्रमाण पत्र में अपनी जाति धानक दर्ज करवाई।
जांच के क्या आया था सामने
इस शिकायत के बाद एसडीएम सफीदों ने मामले की जांच के आदेश दिए और इसे तात्कालीन नायब तहसीलदार रासविंद्र सिंह को सौंपा गया। जांच में यह पाया गया कि रामभरोसे ने गुरु गोबिंद सीनियर सेकेंडरी स्कूल से अपनी शिक्षा ग्रहण की थी, और उनके रिकॉर्ड में उनकी जाति ताती दर्ज थी। साथ ही, नगर पालिका सफीदों की सचिव ने एफसीआई के अधिकारियों से रामभरोसे के पिता की सेवानिवृत्ति सर्विस बुक की रिपोर्ट प्राप्त की, जिसमें यह स्पष्ट रूप से बताया गया कि देबूदास की जाति ताती है। यह स्पष्ट है कि जाति पिता से बच्चों को मिलती है। प्रबंधक भारतीय खाद्य निगम सफीदों से प्राप्त सूचना से यह स्पष्ट होता है कि रामभरोसे की जाति ताती है।
रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि रामभरोसे के जाति प्रमाण पत्र को तात्कालीन पार्षद राजबाला ने बिना उचित जांच-पड़ताल के और बिना रामभरोसे के पुश्तैनी तहसील से रिपोर्ट लिए हुए ही सत्यापित कर दिया था और ना ही उन्होंने रिपोर्ट में यह दर्शाया कि रामभरोसे के पिता देबूदास बिहार से आकर सफीदों में रह रहा है। अत: यह स्पष्ट है कि तात्कालीन नगर पार्षद द्वारा की गई रिपोर्ट (जाति तसदीक) गलत है।
वहीं कार्यवाही के दौरान चुनाव आयोग ने रामभरोसे से अपनी जाति (धानक) के बारे में सबूत पेश करने के लिए कहा, लेकिन वह कोई ठोस प्रमाण नहीं पेश कर सके। इसके परिणामस्वरूप, यह स्पष्ट हो गया कि उन्होंने गलत आधार पर धानक जाति का प्रमाण पत्र प्राप्त किया था।
राज्य चुनाव आयुक्त का निर्णय:
राज्य चुनाव आयुक्त धनपत सिंह ने इस मामले पर दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद निर्णय लिया। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में कहा कि रामभरोसे बिहार के तांती जाति से संबंधित हैं, जो हरियाणा राज्य में अनुसूचित जाति की सूची में शामिल नहीं है। तांती जाति और धानक जाति अलग-अलग जातियां हैं। रामभरोसे ने धानक जाति का गलत प्रमाण पत्र प्राप्त किया था, जिसे बाद में निरस्त कर दिया गया था।
सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए, भारत के संविधान के अनुच्छेद 243के और 243जेडए और हरियाणा नगरपालिका अधिनियम, 1973 की धाराओं के तहत निहित शक्तियों का प्रयोग करते हुए राज्य निर्वाचन आयुक्त ने यह आदेश दिया कि रामभरोसे को सफीदों नगरपालिका के वार्ड नंबर 14 के पार्षद पद से हटा दिया जाए और उक्त पद को तत्काल प्रभाव से रिक्त घोषित किया जाए।
चुनाव आयोग ने सफीदों के वार्ड नंबर 14 के उपचुनाव के लिए 2 मार्च की तिथि निर्धारित की है। अब राजनीति में यह देखना होगा कि कौन नए पार्षद पद के लिए अपनी दावेदारी पेश करता है और चुनावी मुकाबला किस तरह से आकार लेता है। यह उपचुनाव सफीदों पालिका की राजनीति में एक महत्वपूर्ण मोड़ हो सकता है।
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