1950 से चलती आ रही है गांव सिवानामाल की रामलीला

 1950 में पंडित देवीदास सैदा ने शुरू किया था धार्मिक एवं ऐतिहासिक रामलीला का मंचन

नहीं नाचते है डांसर, न होता अशलील डांस, मंच से मन्नत मांंगने पर अगले वर्ष तक होती है पूरी

एस• के• मित्तल   

सफीदों, उपमंडल के गांव सिवाना माल की धार्मिक एवं ऐतिहासिक रामलीला का मंचन वर्ष 1950 में पंडित देवीदास सैदा ने शुरू किया था। निदेशक सत्यप्रकाश शर्मा बताते है कि उस समय आसपास के शहरों व गांवों में कहीं पर भी रामलीला का मंचन नहीं किया जाता था। ऐसे में उस समय शहरों से आसपास के गांव के लोगों सहित गांव की रिश्तेदारों सप्ताह पहले ही पहुंच जाते थे।

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आज भी रामलीला को देखने के लिए गंगाना, भंंभेवा, लुदाना, भिंड़ताना, हाट, मलार, भागखेड़ा, राणा खेड़ी, बागडू कलां व खुर्द, ऐंचरा कलां, सरफाबाद के अलावा अनेकों गांव के लोग आते हैं। उन्होंने बताया कि सिवानामाल का स्टेज धार्मिक होने के कारण यहां पर किसी प्रकार के डांसरों व अन्य कलाकारों को नहीं बुलाया जाता। 10 दिन होने वाली इस रामलीला के मंच से जो भी कोई व्यक्ति मन्नत मांगता है तो भगवान की ऐसी कृपा होती है कि उसकी मनोकामनाएं अगले वर्ष तक पूरी हो जाती है। इस रामलीला के पुराने कलाकार बाहर रहते है लेकिन वे हर वर्ष रामलीला मंचन के लिए यहां पर आते हैं। बता दे कि रामलीला के मंचन की जिम्मेवारी अब युवा कलाकारों पर आ गई है, सभी युवा कलाकार अपना-अपना अभिनय प्ले करते है, लेकिन उसके बाद भी पुराने कलाकार अपने काम-काज को छोड़कर इस मंच पर एक या दो दिन बैठकर हाजिरी लगाने जरूर आते है।

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वहीं जरुरत पड़ने पर वह युवा कलाकारों का मार्ग दर्शन भी करते है।

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8वें दिन सूर्पणखा का नाक काटने, खर-दूषण वध, सीता हरण का किया मंचन

गांव सिवानामाल की ऐतिहासिक रामलीला का मंचन पंडित देवीदास सैदा रामलीला क्लब द्वारा किया जा रहा है। रामलीला मंचन के आठवें दिन सूर्पणखा का नाक काटने, खर-दूषण वध, सीता हरण तक मंचन किया गया। मंचन के समय आसपास के गांव सहित समस्त गांव की महिलाओं व पुरुषोंं ने पहुंचकर मनमोहक रामलीला के मंचन का लुप्त उठाया। सिवाना माल गांव में हर वर्ष की भांति इस बार भी रामलीला का मंचन किया जा रहा है। रामलीला के मंचन की तैयारियां सप्ताह पहले शुरू कर दी जाती है और उसके बाद ग्रामीणों के सहयोग से रामलीला का मंचन संपूर्ण किया जाता है।

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रामलीला में दूर-दूर से लोग पहुंच कर गांव के बच्चों द्वारा किए जाने वाले अभिनय का लुप्त उठाते है। शनिवार को रामलीला के मंच पर प्रमुख अभिनय निभाए गए। जिनमें सूर्पणखा रितेश कुमार, खर सुमित-दूषण विशाल शर्मा, श्रीराम अजय शर्मा-लक्ष्मण रितेश कुमार, रावण रिंंकू शर्मा-सीता राजेश कुमार बने। वहीं रामलीला के मंचन पर पूरा समय गांव के सरपंच रामनिवास उर्फ काला की उपस्थिति रहती है और वह आए दिन शांतिपूर्ण तरीके से रामलीला का संपन्न कराते हैं।

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