हरियाणा में बिजली कट से लोगों की मुसीबत, 1.62 करोड़ यूनिट बिजली की कमी, कुछ राहत की उम्‍मीद

चंडीगढ़। Power Crisis In Haryana: हरियाणा में बिजली संकट गंभीर हो गया है। लगातार बिजली कट के कारण लोगों की मुसीबत हो गई है। राज्‍य में अभी मांग के अनुरूप 1.61 करोड़ यूनिट बिजली की कमी है। वैसे, अब बिजली संकट से जल्‍द ही थोड़ी राहत मिलने की उम्‍मीद है। प्रदेश में अब दूसरे राज्‍यों की कंपनियों से 500 मेगावाट बिजली खरीदी जाएगी।

एचईआरसी ने दी मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की कंपनियों से 500 मेगावाट बिजली खरीदने की मंजूरी

हरियाणा में बिजली संकट से जूझ रहे उपभोक्ताओं को थोड़ी राहत मिलने की उम्मीद जगी है। प्रदेश सरकार ने बिजली नियामक आयोग (एचईआरसी) से दूसरे प्रदेशों की कंपनियों से 500 मेगावाट बिजली खरीदने की अनुमति मांगी थी। इस पर आयोग ने मुहर लगा दी है।

एचईआरसी की मंजूरी के बाद अब प्रदेश सरकार मध्य प्रदेश की एमबी पावर से 150 और छत्तीसगढ़ की आरकेएम पावर प्राइवेट लिमिटेड से 350 मेगावाट बिजली खरीद सकेगी। एमबी पावर को 5.70 रुपये और आरकेएम को 5.75 रुपये प्रति यूनिट का भुगतान होगा।

 

प्रदेश में भीषण गर्मी के चलते फिलहाल 18 करोड़ 46 लाख यूनिट बिजली की मांग है और इसे पूरा करना बिजली निगमों के लिए चुनौती बन गया है। न केवल ग्रामीण क्षेत्रों, बल्कि शहरों में भी आठ से लेकर दस घंटों के बिजली के कट लग रहे हैं। पिछले तीन दिनों में ही बिजली की मांग 1.75 करोड़ यूनिट तक बढ़ी है। 24 अप्रैल को बिजली के की कमी 1.05 करोड़ यूनिट तक थी जो अब बढ़कर 1.62 करोड़ हो गर्ह है।

एमबी पावर से 150 और आरकेएम पावर प्राइवेट लिमिटेड से 350 मेगावाट बिजली खरीदने का है समझौता

 

ऐसे में एचईआरसी द्वारा सरकार को बिजली खरीदने की छूट से फौरी राहत मिलने की उम्मीद जगी है। हालांकि इसमें पेंच यह कि प्रदेश सरकार ने एमबी पावर और आरकेएम पावर प्राइवेट लिमिटेड से नियमित बिजली खरीद का समझौता कर रखा है, जबकि आयोग की ओर से हर साल अप्रैल से अक्टूबर के बीच के पांच महीनों में 500 मेगावाट बिजली खरीद की अनुमति मिली है।

ऐसे में अब सरकार इन कंपनियों को चिट्ठी लिख रही है कि क्या वे इसी अवधि के लिए बिजली दे सकती हैं। एचईआरसी ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि तुरंत उपभोक्ताओं को इसकी सप्लाई सुनिश्चित की जाए।

गौरतलब है कि वर्तमान में खेदड़ पावर प्लांट की एक यूनिट तकनीकी खराबी की वजह से बंद पड़ी है। पानीपत के तीन से अधिक यूनिट पहले से बंद की जा चुकी हैं। अडानी पावर के साथ पूर्ववर्ती हुड्डा सरकार में 1450 मेगावाट से अधिक बिजली के लिए 25 सालों का समझौता हुआ था, लेकिन इंडोनेशिया का कोयला इस्तेमाल होने के चलते अडानी पावर ने दरों में बढ़ोतरी की मांग कर दी। इससे भी बिजली संकट बढ़ा।

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तत्काल सप्लाई सुनिश्चित करने के निर्देश

एचईआरसी के चेयरमैन आरके पचनंदा व सदस्य नरेश सरदाना ने सरकार को राहत देते हुए तल्ख टिप्पणियां भी कीं। आयोग ने कहा कि बिजली खरीद से संबंधित योजना हमें एडवांस में बताएं। खरीद से पहले नोटिस जारी होता है और फिर सुनवाई होती है। हम खरीद की मंजूरी दे रहे हैं, लेकिन बिजली कंपनियां उपभोक्ताओं को तत्काल सप्लाई सुनिश्चित करें। तीन वर्षों के लिए पहली अप्रैल से अक्टूबर तक की अवधि के लिए ही बिजली खरीद की जा सकेगी। आयोग यह मंजूरी इसलिए दे रहा है ताकि उपभोक्ताओं पर किसी तरह का बोझ न पड़े।

पीक सीजन में 15 हजार मेगावाट तक पहुंचेगी मांग

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हरियाणा में करीब तीन हजार मेगावाट बिजली की किल्लत है। प्रदेश में पिछले साल गर्मियों में अधिकतम मांग 12 हजार 125 मेगावाट प्रतिदिन थी जो इस वर्ष पीक समय में लगभग 15 हजार मेगावाट रहने का अनुमान है। इस अंतर को पाटने के लिए बिजली निगमों ने प्रयास शुरू कर दिए हैं।

बिजली मंत्री रणजीत सिंह चौटाला का दावा है कि अगले सप्ताह तक 1500 मेगावाट अतिरिक्त बिजली मिलनी शुरू हो जाएगी। वर्तमान में पानीपत में 250-250 मेगावाट की तीन इकाइयां, खेदड़ में 600-600 मेगावाट की दो इकाइयां तथा यमुनानगर में 300-300 मेगावाट की दो इकाइयां संचालित हैं। अदानी पावर से 1400 मेगावाट बिजली ली जा रही है।

अदानी से 1000 मेगावाट, छत्तीसगढ़ से 350 मेगावाट व मध्य प्रदेश से 150 मेगावाट अतिरिक्त बिजली ली जाएगी। तकनीकी कारणों के चलते खेदड़ थर्मल प्लांट की एक इकाई बंद की गई है। इसका रुटर बदला जाना है जिसे चीन से लाया जाना है। चीन में लाकडाउन के चलते इसे लाने में देरी हुई। अब यह कभी भी पहुंच सकता है। एक सप्ताह में इसे बदलने का कार्य पूरा कर लिया जाएगा।

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