हरियाणा में अनधिकृत डॉक्टरी पेशेवरों को सूचीबद्ध करेगी संकल्प संस्था

 

 

एस• के• मित्तल 

सफीदों, देश में चिकित्सा कोर्सों के दाखिलों की राष्ट्रीय स्तर की परीक्षा नीट को सुप्रीम कोर्ट से बहाल कराने वाली दिल्ली की गैर सरकारी धर्मार्थ संस्था संकल्प ने अब हरियाणा में अनधिकृत रूप से चिकित्सा पेशे में लगे लोगों को सूचीबद्ध करना शुरू किया है। संकल्प जो दिल्ली में बतौर चैरिटेबल ट्रस्ट कार्यरत है,

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के अध्यक्ष वायुसेना के सेवानिवृत्त हड्डी रोग विशेषज्ञ डाक्टर मेजर गुलशन गर्ग ने यहां सोमवार को बताया कि उनकी संस्था ने हरियाणा प्रदेश में अनाधिकृत रूप से डॉक्टरी पेशा में लगे लोगों को सूचीबद्ध कर समाज सुधार की दिशा में सरकार की विकास एवं कल्याणकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में अच्छे भागीदार बनाने का लक्ष्य साधा है। डाक्टर मेजर ने बताया कि उनकी संस्था ने ऐसे लोगों के लिए ऐसी अहम योजना तैयार की है जिसमे उन्हें खुद भी विकास की नई दिशा मिलेगी और वे सम्मान के साथ यही काम कर सकेंगे।

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उन्होने बताया कि प्रदेश में ऐसे करीब एक लाख लोग हैं जिनकी सूची तैयार करके उन्हें संगठित करके संकल्प द्वारा अहम योजना के लिए तैयार किया जाएगा लेकिन इससे पहले सरकार के स्तर पर सहमति की आवश्यकता होगी। वह कहते हैं कि सरकारी तौर पर उन्हें चिकित्सा का आधारभूत प्रशिक्षण देकर सरकार उनसे ग्रामीण क्षेत्रों में बेसिक हेल्थ प्रोवाइडर के रूप में अधिकृत कर उनकी सेवाएं ले सकती है जिसके लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री से बात की जाएगी। वायुसेना में हड्डी रोग विशेषज्ञ, तिहाड़ जेल में चिकित्सा प्रभारी व दिल्ली के दीनदयाल उपाध्याय अस्पताल व धर्मार्थ ट्रस्ट संकल्प में सुधार के अनुभवों के आधार पर डाक्टर मेजर गुलशन गर्ग ने दावा किया कि उनकी योजना लागू होने से विशेषकर ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का बहुत बड़ी हद तक निपटान हो जाता है और रोगियों को सही समय पर सहायता उपलब्ध होने के साथ-साथ प्रदेश का स्वास्थ्य ढांचा भी मजबूत होता है औऱ दूरदराज के ग्रामीण इलाकों भी बेसिक हेल्थ प्रोवाइडर किसी महामारी के समय मे प्रशासन व समस्या के बीच कड़ी का काम करेंगे जिससे महामारी नियंत्रण में काफी सहयोग मिलेगा। उन्होंने बताया कि योजना का प्रस्ताव हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल को भेजा गया है। डॉक्टर गर्ग ने बताया कि उन्होंने ऐसे लोगों के लिए 60 चैप्टर तैयार किए हैं जिनका प्रशिक्षण देकर उन्हें सरकार यह तय कर सकती है कि वे किस रोग की कैसी स्थिति में रोगी को क्या, किस हद तक उपचार देंगे और किस स्थिति में वे रोगी को किस उच्च स्टेशन पर जाने की सलाह देंगे। उन्होंने कहा कि ये लोग, भले ही कार्रवाई के डर में, लेकिन उपचार तो आज भी दे रहे हैं। यदि इन्हें निर्धारित प्रशिक्षण देकर इनसे आधारभूत निर्धारित सेवाएं सरकार ले तो ये खुले तौर पर प्रैक्टिस करते हुए स्वास्थ्य ढांचे की कड़ी के रूप में काम कर सकते हैं।

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इससे मरीजों का तो लाभ होगा ही सरकार के स्वास्थ्य ढांचे को बहुत मजबूत करते हुए ये प्रशासन के सूचना तंत्र को भी काफी मजबूत बना सकते हैं जिसका लाभ विकास एवं कल्याण की योजनाओं के अलावा किसी त्राशदी के समय मे भी लिया जा सकेगा। डाक्टर गुलशन गर्ग ने बताया कि देश मे डॉक्टरी कोर्सों में मेडिकल कालेज प्रबंधकों को दाखिले के अधिकार देने से चिकित्सा पेशे की गुणवत्ता बुरी तरह से प्रभावित होने लगी तो उनकी संस्था ने वर्ष 2016 में ऐसे दाखिलों की राष्ट्रीय परीक्षा नीट को सुप्रीम कोर्ट से बहाल कराया। उन्होने दावा किया कि यदि हरियाणा में उनकी योजना लागू हो तो इससे होने वाले सुधारों को देख अन्य प्रदेश भी इसका अनुसरण करेंगे और निश्चित रूप से विश्व स्वास्थ्य संगठन भी इसकी प्रशंसा करेगा।

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