एस• के• मित्तल
सफीदों, नगर की श्री एसएस जैन स्थानक में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए मधुरवक्ता नवीन चन्द्र महाराज एवं श्रीपाल मुनि महाराज ने कहा कि स्वाध्याय करने से मनुष्य का ज्ञान बढ़ता है। हमारा ज्ञान जितना बढ़ता है हमारा कद उतना ही ऊंचा हो जाता है और स्वभाव में विनम्रता बन जाती है। मनुष्य को धर्म में जीवन लगाना चाहिए और मन में शुद्ध विचार बनाने चाहिए।
सफीदों, नगर की श्री एसएस जैन स्थानक में श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए मधुरवक्ता नवीन चन्द्र महाराज एवं श्रीपाल मुनि महाराज ने कहा कि स्वाध्याय करने से मनुष्य का ज्ञान बढ़ता है। हमारा ज्ञान जितना बढ़ता है हमारा कद उतना ही ऊंचा हो जाता है और स्वभाव में विनम्रता बन जाती है। मनुष्य को धर्म में जीवन लगाना चाहिए और मन में शुद्ध विचार बनाने चाहिए।
जीवन में मनुष्य को धन तो जरूर कमाना चाहिए लेकिन उस धन को दान व पुण्य कार्यों में अवश्य लगाना चाहिए। दान-पुण्य के कार्यों को करने से मन में शांति बनी रहती है और मन मे उदारता प्रकट होती है। उन्होंने कहा कि दान, शील, तप और भावना धर्म के 4 द्वार है। इनकों अपनाने वालों के जीवन का उद्धार हो जाता है। मनुष्य जीवन बड़ा अनमोल है। इस जीवन में सत्संग, श्रद्धा और तप में जोर लगाकर कर्म बंधनों से मुक्त होना चाहिए। मनुष्य इस जीवन में जैसा कर्म करेगा वैसा ही फल प्राप्त करेगा। मनुष्य जैसा भ्भोजन करेगा वैसा ही उसका मन व विचार होंगे। हमारी रोजी भी हमारी रोटी की तरह से शुद्ध होनी चाहिए।
नरक में जाने से बचना चाहते हो तो हमारे कर्म भी अच्छे होने चाहिए। जीवन में हमें ऐसे कार्य नहीं करने चाहिए कि जिससे अपना फायदा कम हो और दूसरे का नुकसान ज्यादा हो। अगर हम पाप करते है तो संसार का सुख नहीं प्राप्त कर सकते। छल, कपट व फरेब इंसान को इंसान नहीं रहने देता। जो इंसान झूठ बोलना, फरेब करता है और गलत व्यवहार करता है उसे अगली योनि पशु की मिलती है।