सफीदों की 11 ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों में हुई धोखाधड़ी का मामला

 

 

उपायुक्त ने दोषी अधिकारियों से 1208605 रूपए रिकवरी करने के दिए आदेश

मामले की लीपापोती किए जाने की हो रही है कोशिशें

 

एस• के • मित्तल     

सफीदों, खण्ड सफीदों की 11 ग्राम पंचायतों में ग्रामीण विकास के साढे नौ लाख रुपये के बजट को हेराफेरी कर हड़प लिए जाने के मामले की जांच में उत्तरदायी पाए गए 13 कर्मचारियों व अधिकारियों से उपायुक्त ने बीडीपीओ सफीदों को पत्र जारी करके 1208605 रूपए रिकवरी करने के दिए आदेश दिए है।

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पत्र में उपायुक्त ने कहा है कि खंड सफीदों की 11 ग्राम पंचायतों में करवाए गए विकास कार्यों में धोखाधड़ी करने बारे जांच अतिरिक्त उपायुक्त एवं अध्यक्ष जिला स्तरीय सर्तकता समिति, जींद द्वारा जांच रिपोर्ट प्राप्त हो चुकी है। जांच रिपोर्ट के अनुसार रिकवरी की 10 फरवरी 2016 से 15 जून 2022 तक 21 प्रतिशत के हिसाब से 1208605 रूपए की जो राशी संबंधित अधिकारियों व कर्मचारियों से रिकवर करके संबंधित ग्राम पंचायतों में जमा करवाई जानी बनती है और यह रिकवरी की कार्रवाई बिना कोताही के तुरंत की जानी है।

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क्या था मामला

सफीदों खंड के गांवों करसिंधु, रामनगर, मलिकपुर, बागडू कलां, बागडू खुर्द, बडौद, बसीनी, सिंघाना, खरकड़ा, खातला व कुरड़ में 6 वर्ष पहले के वाटर कूलर, वेलकम गेट व सीसी बेंच आदि के निर्माण या खरीद में करीब 9 लाख रूपए की हेराफेरियां उजागर हुई थी। हेराफेरी जांच में साबित हुई तो आरोपियों पर मामला दर्ज कराने व उनसे गबन की मूल व 21 प्रतिशत वार्षिक दर की ब्याज राशि वसूलने का आदेश सीएम विंडो से हुआ लेकिन कुछ आरोपियों ने केवल मूल राशि जमा कराकर विभागीय अधिकारियों से सांठगांठ कर ली और ब्याज राशि, जो मूल से भी ज्यादा (करीब 14 लाख रुपए है), जमा नहीं कराई। इस मामले में बीडीपीओ ने आरोपियों को एक नोटिस तो भेजा गया लेकिन उसमें कोई समय सीमा निर्धारित नहीं और नोटिस पर अमल ना करने की स्थिति के परिणाम का कोई जिक्र नहीं किया गया। इस मामले में इस खंड में विवाद की अवधि में सेवा दे चुके बीडीओ शंकर गोयल, सेवानिवृत बीडीओ धर्मबीर सिंह, ग्राम सचिव अजमेर सिंह, ग्राम सचिव राजेंद्र सिंह, ग्राम सचिव सतीश कुमार, ग्राम सचिव ईश्वर सिंह, ग्राम सचिव कर्मबीर सिंह, ग्राम सचिव कंवर सिंह, ग्राम सचिव सुभाष चंद्र, ग्राम सचिव अमित, ग्राम सचिव कुलदीप सिंह, कनिष्ठ अभियंता दलबीर सिंह व कनिष्ठ अभियंता सुनील कुमार को दोषी पाया गया था, जिनमे से ज्यादातर यहां से तबादला होकर जा चुके हैं।

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मामले की लीपापोती करने की जा रही है कोशिश

गबन के इस गंभीर मामले की जांच के बावजूद उच्चाधिकारियों ने अपराध की श्रेणी में शामिल नहीं किया है। लाखों रुपए की हेराफेरी के इस मामले में दो पूर्व खण्ड अधिकारियों, 7 ग्राम सचिवों व दो कनिष्ठ अभियंताओं को गबन की गई राशि व उसके ब्याज की वसूली करके मामले की लीपापोती करने की कोशिश की जा रही है। मामला वर्ष 2016 के उन दिनों का है जब ग्राम पंचायतों का कार्यकाल पूरा हो जाने पर इनका कामकाज खंड विकास एवं पंचायत अधिकारियों के हाथ मे था। तब लगभग सभी गांवों के लिए करोड़ों रुपये के कुड़ादान व अन्य सामान की खरीद की गई थी। इस खंड के 11 गांवों करसिंधु, रामनगर, मलिकपुर, बसीनी, बागडूकला, बड़ोद, सिंघाना, खरकड़ा, खातला, कुरड़ व बागडू खुर्द के लिए खरीदे कूडेदानों की जानकारी लेकर गांव कारखाना के पूर्व सरपंच रणबीर सिंह ने सीएम विंडो में शिकायत भेजकर गबन का आरोप लगा जांच व कार्रवाई मांगी थी। तत्कालीन उपायुक्त ने इसकी जांच जिला चौकसी कमेटी से कराई थी जिसमे दो खण्ड अधिकारियों, सात ग्राम सचिवों व दो कनिष्ठ अभियंताओं को दोषी पाया गया था। सीएम विंडो से दोषियों से गबन की मूल राशि, इसका ब्याज वसूलने के साथ दोषियों पर विभागीय कार्रवाई का निर्देश हुआ था लेकिन जिला कमेटी ने केवल वसूली की कार्रवाई ही की। दोषी मूल राशि सम्बंधित ग्राम पंचायत के खाते में जमा करा चुके अब उन्हें ब्याज की राशि, जो करीब 12 लाख रुपये बनती है, जमा कराने का नोटिस सफीदों के बीडीपीओ सुरिंदर खत्री द्वारा भेजा गया है।

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क्या कहते हैं जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी

इस मामले में जिला विकास एवं पंचायत अधिकारी राजकुमार चांदना का कहना है कि जिला चौकसी कमेटी ने वसूली का निर्देश ही दिया था। उन्होंने कहा कि लक्ष्य तो सरकारी पैसे की वसूली का ही है। यदि आरोपी से गबन की गई राशि वसूल नहीं होती है तो ही उसके विरुद्ध गबन का मामला दर्ज कराया जाना बनता है और यदि राशि जमा नहीं हुई तो यह करवाया जाएगा। वहीं विधि विशेषज्ञों का कहना है कि गबन अपराध है और ऐसे मामलों में आरोप सिद्ध होने पर सबसे पहले दोषी के विरुद्ध मुकदमा दर्ज कराया जाना चाहिए

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