एस• के • मित्तल
सफीदों, श्री सतनारायण मंदिर सभा के तत्वावधान में पुरानी अनाज मंडी स्थित श्री सतनारायण मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए राम उपाध्याय (वृंदावन) ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण मनुष्य जीवन को सार्थक बनाती है। जन्म तो हर प्राणी एवं मनुष्य लेता है लेकिन उसे अपने जीवन का अर्थ बोध नहीं होता है।
सफीदों, श्री सतनारायण मंदिर सभा के तत्वावधान में पुरानी अनाज मंडी स्थित श्री सतनारायण मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए राम उपाध्याय (वृंदावन) ने कहा कि श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण मनुष्य जीवन को सार्थक बनाती है। जन्म तो हर प्राणी एवं मनुष्य लेता है लेकिन उसे अपने जीवन का अर्थ बोध नहीं होता है।
बाल्यावस्था से लेकर मृत्यु तक वह सांसारिक गतिविधियों में ही लिप्त होकर इस अमूल्य जीवन को नश्वर बना देता है। श्रीमद् भागवत ऐसी कथा है जो जीवन के उद्देश्य एवं दिशा को दर्शाती है। इसलिए जहां भी भागवत होती है इसे सुनने मात्र से वहां का संपूर्ण क्षेत्र दुष्ट प्रवृत्तियों से खत्म होकर सकारात्मक ऊर्जा से सशक्त हो जाता है। उन्होंने कहा श्रीकृष्ण का जन्म मनुष्य जीवन के उद्धार के लिए हुआ है। कंस ने उनके जन्म लेने को रोकने के लिए अथक प्रयास किए लेकिन सफल नहीं हो पाया।
अंत मेंं अपने पापों का घड़ा भरने पर श्रीकृष्ण के हाथों मरकर मोक्ष की प्राप्ति की। उन्होंने बताया मनुष्य जीवन सबसे उत्तम माना जाता है। इसी योनी में भगवान भी जन्म लेना चाहते हैं। जिससे वे अपने आराध्य ईश्वर की भक्ति कर सके । श्रीकृष्ण ने भागवत गीता के माध्यम से बुराई व सदाचार के बीच अंतर बताया। ईश्वर को धन दौलत व यज्ञों से कोई सरोकार नहीं है। वह तो केवल स्वच्छ मन से की गई आराधना के अधीन होता है।