श्रीमद् भागवत कथा सुनने से मनुष्य का होता है आध्यात्मिक विकास : डा. शंकरानंद सरस्वती

एस• के• मित्तल   
सफीदों,  नगर के महाभारतकालीन नागक्षेत्र तीर्थ के मंदिर हाल में भक्ति योग आश्रम के तत्वावधान में आयोजित श्रीमद् भागवत अमृत कथा में व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए स्वामी डा. शंकरानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि श्रीमद् भागवत को भगवान श्री कृष्ण का साहित्यिक अवतार माना जाता है। श्रीमद् भागवत कथा सुनने से मनुष्य का आध्यात्मिक विकास और भगवान के प्रति उसकी भक्ति गहरी होती है। श्रीमद् भागवत कथा स्वयं की प्रकृति और परम वास्तविकता के बारे में सिखाती है।
भागवत पुराण अठारह पुराणों में से एक है और इसे श्रीमद्भागवतम् या केवल भागवतम् भी कहते हैं। भागवत पुराण में रस भाव की भक्ति का निरुपण भी किया गया है। भागवत कथा, भक्त और भगवान दोनों की कथा है और इसका मूल भाव है सत्यम परम धीमहि। उन्होंने कहा कि श्रीमद् भागवत प्रत्येक व्यक्ति के घर में होना चाहिए। हर एक व्यक्ति को रोज भागवत कथा का कम से कम एक श्लोक अर्थ के साथ पढ़ना चाहिए। जो व्यक्ति घर में भागवत कथा कराता है या भागवत पुराण रखता है उनके पितरों को ईश्वर की कृपा प्राप्त होती है। भागवत कथा का दूसरा नाम सत्य है। भागवत कथा के पहले ही श्लोक में सत्य का महत्व बताया गया है।
श्लोक में सच्चिदानंद शब्द में ही मनुष्य जीवन की व्याख्या छिपी है। सत, चित, धन और आनंद से मिलकर सच्चिदानंद शब्द बना है। श्रीमद्भागवत कथा मनुष्य की सभी इच्छाओं को पूरा करती है। यह कल्पवृक्ष के समान है। भागवत कथा ही साक्षात कृष्ण है और जो कृष्ण है, वही साक्षात भागवत है। भागवत कथा भक्ति का मार्ग प्रशस्त करती है। उन्होंने कहा कि भक्ति एक ऐसा उत्तम निवेश है, जो जीवन में परेशानियों का उत्तम समाधान देती है। साथ ही जीवन के बाद मोक्ष भी सुनिश्चित करती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *