एस• के• मित्तल
सफीदों, नगर के ऐतिहासिक महाभारतकालीन नागक्षेत्र सरोवर हाल में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए भागवत पीठाधीश्वर आचार्य देशमुख वशिष्ठ महाराज ने कहा कि हम सब यह अवश्य जानते हैं कि श्रीमद् भागवत कथा सभी ग्रन्थों का सार है लेकिन इस सार के पीछे जो रहस्य छिपे हुए हैं वो कोई नहीं जानता। मनुष्य को भागवत कथा के प्रत्येक प्रसंग के महत्व को समझकर उस पर चिंतन-मनन करते हुए जीवन में धारण करना चाहिए। कलियुग में भागवत कथा कराने एवं सुनने का बहुत बड़ा महत्व है। भगवान मानव को जन्म देने से पहले कहते हैं ऐसा कर्म करना जिससे दोबारा जन्म ना लेना पड़े। मानव मुट्ठी बंद करके यह संकल्प दोहराते हुए इस पृथ्वी पर जन्म लेता है। प्रभु भागवत कथा के माध्यम से मानव का यह संकल्प याद दिलाते रहते हैं। भागवत सुनने वालों का भगवान हमेशा कल्याण करते हैं। भागवत में कहा गया है कि भगवान को प्रिय हो वही करो, हमेशा भगवान से मिलने का उद्देश्य बना लो व जो प्रभु का मार्ग हो उसे अपना लो। इस संसार में जन्म-मरण से मुक्ति भागवत ही दिला सकती है। भगवान की कथा विचार, वैराग्य, ज्ञान और हरि से मिलने का मार्ग बताती है। राजा परीक्षित के कारण भागवत कथा पृथ्वी के लोगों को सुनने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। समाज द्वारा बनाए गए नियम गलत हो सकते हैं किंतु भगवान के नियम ना तो गलत हो सकते हैं और नहीं बदले जा सकते हैं।
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कथा के दौरान श्रद्धालुगण भजनों पर जमकर थिरके। इस मौके पर तीर्थराज गर्ग, पुरुषोत्तम शर्मा, रोहतास भारद्वाज, एडवोकेट बृजेश्वर अग्रवाल, वेदप्रकाश नंदवानी, यशपाल देशवाल, विजय दीवान, यशपाल सूरी, नंदलाल गांधी, दर्शनलाल मेहता, चेतनदास भाटिया, मा. रघुवीर सिंह, मा. सुरेंद्र शर्मा, रामचंद्र मिस्त्री, सोहन लाल धीमान व मा. हंसराज मौजूद थे।
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