एस• के• मित्तल
सफीदों, श्रीमद् दंडी स्वामी डा. निगमबोध तीर्थ महाराज की प्रेरणा एवं आशीर्वाद तथा श्री हरि संकीर्तन मंडल सफीदों के तत्वाधान में नगर की गुरूद्वारा गली स्थित श्री शिव शक्ति कृपा मंदिर संकीर्तन भवन में चल रहे श्री रामचरितमानस 108 पाठ में श्रद्धालुगण बढ़-चढ़कर भाग लेकर राम नाम की महिमा का गुणगान कर रहे हैं। यह संगीमय गुणगान पं. तुलसी दास शास्त्रभ्ी के सानिध्य में किया जा रहा है।
सफीदों, श्रीमद् दंडी स्वामी डा. निगमबोध तीर्थ महाराज की प्रेरणा एवं आशीर्वाद तथा श्री हरि संकीर्तन मंडल सफीदों के तत्वाधान में नगर की गुरूद्वारा गली स्थित श्री शिव शक्ति कृपा मंदिर संकीर्तन भवन में चल रहे श्री रामचरितमानस 108 पाठ में श्रद्धालुगण बढ़-चढ़कर भाग लेकर राम नाम की महिमा का गुणगान कर रहे हैं। यह संगीमय गुणगान पं. तुलसी दास शास्त्रभ्ी के सानिध्य में किया जा रहा है।
अपने संबोधन में पं. तुलसी दास शास्त्री ने कहा कि भगवान लीला के लिए राम के रूप मे अवतार लेते है। प्रभु श्रीराम लोकाभिराम है। भगवान के प्रति भरत का प्रेम अचिदवत् प्रेम होता है। भक्त अपना सर्वस्व भगवान के चरणों में मानकर उनकी भक्ति को अपने जीवन का एकमात्र प्रयोजन बना लेता है, यही दशा भरत की प्रभु श्रीराम के प्रति रही। उन्होंने कहा कि भगवान का स्वरूप रमणीय है, ऐसी रमणीयता है कि सूपनखा अपने नाक कान काटने पर भी उनके सुंदरता का ही वर्णन रावण के सामने करती है। भगवान से जानकी जी का तीन बार वियोग होता है किंतु तीनों का अलग-अलग प्रयोजन रहा है। रावण के द्वारा हरण होने पर पहला वियोग होता है। दूसरा वियोग तब होता है जब लोकापवाद के कारण सीता को वन में छोड़ा जाता है।
तीसरा वियोग तब होता है जब नैमिषारण्य में भगवान यज्ञ करते हैं वहां महर्षि वाल्मीकि के साथ सीता आती हैं। महर्षि वाल्मीकि सीता के लिए भगवान से निवेदन करते हैं। रामजी ने कहा कि मैं इन प्रजा जन के कहने पर ही सीता का त्याग किया था आप प्रजा जन से पूछ लीजिए यदि वे कहे तो मैं स्वीकार कर लूंगा। इस पर की सीताजी माता पृथ्वी का आह्वान करती हैं और पृथ्वी फट जाती है सीता जी उसमें समाहित हो जाती है।
आयोजक संस्था के प्रतिनिधि महेश गर्ग ने बताया कि यह आयोजन आगामी 4 अक्तुबर तक प्रतिदिन सांय 2 से 5 बजे तक होगा। उन्होंने नगर के श्रद्धालुओं से आह्वान किया कि वे इस आयोजन में बढ़-चढ़कर भाग लेकर पुण्य लाभ कमाएं।