लेफ्टिनेंट सागर पहुंचे करनाल: गांव में पहुंचने पर हुआ फूल मालाओं से स्वागत, पिता भी है BSF में तैनात

गांव में पहुंचने पर बुजुर्गो का आर्शीवाद लेता लेफ्टिनेंट सागर।

भारतीय सेना का अंग होना ही गर्व की बात है। अगर अधिकारी बनकर सेना में शामिल हो तो फिर कहना ही क्या। करनाल के उचाना गांव के 22 वर्षीय सागर का चार साल की ट्रेनिंग के बाद सेना में लेफ्टिनेंट के पद पर चयन हुआ है। मंगलवार शाम को वह अपने गांव उचाना पहुंचे तो गांव के लोगों ने सागर को फूल मालाओं के साथ स्वागत किया। भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट बनकर सागर ने अपने गांव का ही नहीं, बल्कि करनाल जिले व पूरे हरियाणा राज्य का नाम रोशन किया है।

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गांव में पहुंचने पर सागर का फूल मालाओं के साथ स्वागत करते ग्रामीण।

गांव में पहुंचने पर सागर का फूल मालाओं के साथ स्वागत करते ग्रामीण।

गुजरात में की थी 12वीं की पढ़ाई

​​​​​​​जानकारी देते हुए लेफ्टिनेंट सागर ने बताया कि उनके पिता कुलवंत शर्मा BSF में कार्यरत है। 5 साल पहले उनके की पोस्टिंग गुजरात में थी। उसी दौरान गुजरात के केंद्रीय विद्यालय स्कूल से 12वीं कक्षा पास थी।

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बचपन से आर्मी में जाने का था लक्ष्य

​​​​​​​सागर ने बताया कि उनके पिता सेना में थे तो उनका भी बचपन से ही सपना था कि वह आर्मी के में एक बड़ा अधिकारी बनें क्योंकि उने परिवार में आज तक कोई अधिकारी नहीं रहा। 12वीं करने के बाद मैंने आर्मी के लिए अप्लाई किया। जिसमें उसका सलेक्शन हो गया और चार साल की ट्रेनिंग के बाद 10 दिसंबर को बिहार के गया में पासिंग आउट परेड में लेफ्टिनेंट के पद से सम्मानित किया गया।

आते ही गांव के खेड़े पर लिया आर्शीवाद

मंगलवार शाम को जब सागर अपने गांव उचाना पहुंचा तो गांव में आते ही ग्रामीणों ने सागर का फल मालाओं के साथ स्वागत किया। उसके बाद सीधे गांव के खेड़े पर जाकर माथ टेक कर आदर्शवाद लिया। बाद में गांव के बड़े बुजुर्गों का आदर्शवाद लिया।

बुजुर्गों से मिलता सागर।

बुजुर्गों से मिलता सागर।

बेटे ने किया सपना पूरा

​​​​​​​सागर के पिता कुलवंत ने बताया कि उसकी पोस्टिंग इस समय अमृतसर में है। उसका सपना अपने बेटे को आर्मी में लेफ्टिनेंट के पद देखना था। सागर ने आज उनके सपने को पूरा कर दिखाया।

युवाओं को दिया संदेश

​​​​​​​सागर ने युवाओं को संदेश देते हुए कहा कि अगर किसी मंजिल तक पहुंचना है तो मेहनत तो करनी होगी। मंजिल तक पहुंचना ज्यादा मुश्किल भी नहीं और आसान भी नहीं भी। अगर इंसान को किसी मुकाम तक पहुंचना है तो मेहनत करनी पड़ेगी।

 

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