उपायुक्त विवेक आर्य ने किया जिला के 19 क्रैच केन्द्रों का उद्घाटन
क्रैच क्रेन्द्रों के माध्यम से छोटे बच्चे खेल- खेल कर सकते है अपनी पढ़ाई
जींद : राज्य सरकार द्वारा बच्चों के भविष्य को और बेहतर बनाने के लिए प्रतिदिन अनेक कल्याणकारी नीतियां लागू की जा रही है। क्रैच केन्द्रों के माध्यम से छोटे- छोटे बच्चे खेल-खेल के साथ अपनी पढ़ाई भी कर सकेंगे और उनका बेश भी शुरू हो जाता है। उन्हीं बच्चे प्रतिदिन बात करने का तरीका भी समझ में आ जाता है। क्रेच केन्द्रों में बच्चे कुछ सीख कर भी जाएंगे और सारी सुविधाओं का फायदा भी उठाएंगे। केन्द्र एवं राज्य सरकार द्वारा नेशनल एजुकेशन पॉलिसी लागू की गई है इस पॉलिसी के आने से बच्चों का स्वार्गीण विकास होगा और वे आने वाले समय में प्रदेश एवं देश नाम भी रोशन करेंगे।
यह विचार अतिरिक्त उपायुक्त विवेक आर्य ने बीईओ आफिस नजदीक प्राईमरी स्कूल में सोमवार को जिला में बने 19 क्रैच केन्द्रों का उद्घाटन करने उपरान्त सम्बोन्धित करते हुए कही। उन्होंने बताया कि 8 स्टैण्डलोन क्रैच केन्द्र व 11 आंगनवाड़ी कम क्रैच केन्द्र खोले गए है। इसके बाद अतिरिक्त उपायुक्त ने प्राईमरी स्कूल में बने क्रैच केन्द्र का निरीक्षण भी किया और बच्चों को दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में विस्तृत जानकारी भी ली। उन्होंने कहा कि अगर इन क्रैच सेंटरों में उनके अभिभावकों को बच्चों के प्रति कुछ समस्या है तो वे जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय, महिला एवं बाल विकास विभाग कार्यालय या जिला प्रशासन को जरूर अवगत करवाएं, उस समस्या का शीघ्र समाधान किया जाएगा। उन्होंने कहा कि जन्म से लेकर छह साल की उम्र तक, बच्चे एक “संवेदनशील” अवधि का अनुभव करते हैं। इस दौरान उनका मस्तिष्क बहुत तेज गति से विकसित हो रहा होता है। इसलिए बच्चों को उचित और सहायक वातावरण में सही तरह का प्रशिक्षण और मार्गदर्शन दिया जाना चाहिए ताकि उनका मस्तिष्क स्थिर गति से विकसित हो सके। इससे यह सुनिश्चित करने में मदद मिलती है कि बच्चों को जीवन में सबसे अच्छी शुरुआत मिले चाहे उन्हें बाद में किसी भी चुनौती का सामना क्यों न करना पड़े।
अतिरिक्त उपायुक्त ने कहा कि बचपन में शिक्षा प्रदान करने से बच्चों को तेजी से लक्ष्य प्राप्त करने में मदद मिलती है, जबकि वे अन्य बच्चों के साथ बातचीत करते हैं और दुनिया में अपने दृष्टिकोण को जानते हैं। यह बच्चों में तार्किक तर्क के लिए एक मजबूत आधार विकसित करता है और रचनात्मकता, गणित और विज्ञान जैसे उनके बुनियादी कौशल को बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि बच्चे जिज्ञासा से भरे होते हैं और लगभग हर रोज अपने आस-पास की चीजों का पता लगाने की कोशिश करते हैं। छोटे बच्चे अपने आस-पास के माहौल के साथ खेल-खेल में बातचीत करेंगे और अवचेतन रूप से नए कौशल सीखेंगे। चूँकि छोटे बच्चे अपने आस-पास के संभावित खतरों को पूरी तरह से पहचानने में सक्षम नहीं होते हैं, इसलिए उनके लिए उनके अन्वेषण के खेल खेलने के लिए एक सुरक्षित जगह होने से बच्चे को दुर्घटनाओं से बचाने में मदद मिल सकती है। क्रैच केन्द्र में बच्चे नए कौशल सीखेगें और कर्मचारियों द्वारा सेंटर में उनका विशेष ध्यान भी रखा जाएगा।
इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास विभाग की कार्यक्रम अधिकारी कान्ता यादव, जिला बाल संरक्षण अधिकारी सुजाता, नैशनल अवार्डी जयभगवान, प्रोटैक्शन आफिसर विजय कुमार, अमित शर्मा, आंगनवाड़ी से निर्मला व अन्य अधिकारी मौजूद रहे।
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