राजस्थान रॉयल्स के मालिकों पर लगा 15 करोड़ जुर्माना सही: FEMA उल्लंघन पर 98 करोड़ फाइन लगाया गया था; बॉम्बे HC बोला- ऐसा नहीं कर सकते
बॉम्बे हाईकोर्ट ने अपीलेट ट्रिब्यूनल के फैसले को बरकरार रखा है।
बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार (13 दिसंबर) को IPL टीम राजस्थान रॉयल्स की मालिकों पर लगाए जुर्माने में की गई कमी को सही बताया है। मालिकों पर फॉरेन एक्सचेंज मैनेजमेंट एक्ट (FEMA) के उल्लंघन को लेकर ED ने 98.35 करोड़ रुपए का फाइन लगाया गया था, जिसे अपीलेट ट्रिब्यूनल ने घटाकर 15 करोड़ कर दिया था।(13 दिसंबर 2023) राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक न्यूज़पेपर में प्रिंट आज की ख़बर.
दरअसल, राजस्थान रॉयल्स की मालिक कंपनी जयपुर आईपीएल प्राइवेट लिमिटेड (JIPL) के प्रमोटर्स और डायरेक्टर्स पर ये फाइन लगाया गया था। बॉम्बे हाई कोर्ट के जस्टिस केआर श्रीराम और जस्टिस नीला गोखले की बेंच ने इस मुद्दे पर सुनवाई की। उन्होंने कहा- ED के स्पेशल डायरेक्टर JIPL के डायरेक्टर्स और प्रमोटर्स पर 98.35 करोड़ का जुर्माना लगाने की वाजिब दलील देने में विफल रहे हैं।(13 दिसंबर 2023) राष्ट्रीय हिन्दी दैनिक न्यूज़पेपर में प्रिंट आज की ख़बर.
राजस्थान रॉयल्स की मालिक कंपनी के प्रमोटर्स और डायरेक्टर्स पर लगा है फाइन
10 साल पहले ED ने लगाया था फाइन
ईडी के मुंबई जोनल ऑफिस को जांच में पता चला की IPL में आर्थिक अनियमितताएं हुई है, जिसके तार जयपुर IPL क्रिकेट प्राइवेट लिमिटेड के डायरेक्टर्स और प्रमोटर्स से जुड़े हैं। इसके बाद ED ने 30 जनवरी 2013 को कंपनी के डायरेक्टर्स और प्रमोटर्स पर 98.35 करोड़ रुपए का जुर्माना लगाया।
ईडी के जुर्माने को कंपनी ने अपीलेट ट्रिब्यूनल में चुनौती दी, जिसने 11 जुलाई 2019 को जुर्माना कम 15 करोड़ रुपए कर दिया था। ट्रिब्यूनल ने कहा था- ईडी यह साबित नहीं कर पाया है कि डायरेक्टर्स और प्रमोटर कंपनी के दिन-प्रतिदिन के मैनेजमेंट में भूमिका निभा रहे थे, इसलिए इन पर लगे जुर्माने को कम किया जा रहा है।
अपीलेट ट्रिब्यूनल कहा था कि 98.35 करोड़ का जुर्माना तब ही लगाया जा सकता है जब वह व्यक्ति (डायरेक्टर या प्रमोटर) कंपनी के रोज के कामकाज के लिए जिम्मेदार था। साथ ही ट्रिब्यूनल ने कहा था- ‘राजस्थान रॉयल्स’ ने 2008 से IPL में भाग लिया है और उस पर FEMA के उल्लंघन का कोई अन्य आरोप भी नहीं है।
वहीं, बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा कि जो भी ट्रांजेक्शन की बात हो रही है, उसका उपयोग सही जगह हुआ है। साथ ही कंपनी के लेनदेन से किसी को पर्सनल फायदा नहीं हुआ है। कंपनी के प्रमोटरों और डायरेक्टरों को कोई अनुचित लाभ नहीं मिला है। इसलिए अपीलेट ट्रिब्यूनल का फैसला बरकरार रहेगा।
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