राग-रागनियों के बीच सरपंचों का धरना तीसरे दिन जारी

 

 

एस• के• मित्तल 

सफीदों, नगर के बीडीपीओ कार्यालय में ई-टेंडरिंग के विरोध में सरपंचों का धरना तीसरे दिन में प्रवेश कर गया है। इस धरने में अब राग-रागनियों की एंट्री हो गई है। धरने के दौरान हरियाणवीं लोक गायक महावीर सिंह ने अपनी प्रस्तुतियों के माध्यम से गांवों में सरपंचों के महत्व को प्रदर्शित करने का प्रयास किया। इस धरने की अगुवाई सरपंच एसोसिएशन के अध्यक्ष निरवैल सिंह खरकड़ा ने की।

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अपने संबोधन में सरपंचों का कहना है कि सरकार ने विकास कराने की खर्च सीमा भी महज दो लाख तक कर दी है। इससे अधिक के कार्य ई-टेंडरिंग के माध्यम से होंगे जिससे भ्रष्टाचार व अफसरशाही को बढ़ावा मिलेगा तथा गांवों में विकास कार्य प्रभावित होंगे। उनका कहना था कि सरकार के दिल में सरपंचों का कोई मान-सम्मान नहीं बचा है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि हरियाणा के पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली अपने भाषणों में सरपंचों को चोर बता रहे है तथा बार-बार राईट-टू-रिकॉल कानून की धमकियां दे रहे हैं। सरकार के द्वारा सरपंचों को डराने, धमकाने व दबाने का प्रयास किया जा रहा है। गांवों की जनता ने उन्हे चुनकर भेजा है और सरपंच का पद अपने आप में बेहद सम्मानित ओहदा होता है।

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चुनावों में उन्होंने जनता से बड़े-बड़े वायदे किए थे लेकिन सरकार ने तानाशाही अपनाते हुए उनके हाथों से सारी पावर छीन ली है। ऐसे में वे कैसे गांवों का विकास करवा पाएंगे और कैसे जनता से किए गए वायदे वे पूरे कर पाएंगे। उनकी सरकार से मांग है कि सरकार अपना तुगलकी फरमान वापिस लें और ग्राम पंचायतों को 20 लाख रुपये तक के कार्य करवाने की छूट दी जाएं। सरकार जब तक सरपंचों को ग्राम विकास के लिए पूरी शक्ति प्रदान नहीं करेगी तब तक उनका धरना-प्रदर्शन जारी रहेगा।

 

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