राइस मिल का ब्वायलर का हिस्सा धंसा, 2 मजदूर दबे

 

3 मजदूरों ने कूदकर बचाई जान, एक दबे मजदूर का शव मिला

हादसा रात को 3 बजे हुआ लेकिन रेस्क्यू सुबह 9 बजे हुआ शुरू 

ब्वायलर की नींव कमजोर होने से हुआ हादसा

ब्वायलर में भरी हुई थी सैंकड़ों किवंटल धान

मौके पर पहुंचे प्रशासन व पुलिस के आलाधिकारी 

 

एस• के• मित्तल 

सफीदों, नगर के हाट रोड़ स्थित एक राईस मिल के ब्वायलर का एक हिस्सा देर रात अचानक धंस गया। जिससे इस ब्वायलर पर काम कर रहे 5 मजदूरों में से 2 मजूदर नीचे दब गए और 3 मजदूरों ने किसी तरह से कूदकर अपनी जान बचाई। जिस वक्त यह हादसा हुआ उस वक्त राईस मिल में एक बड़ा बलास्ट हुआ। सुबह तक इस मामले की भनक किसी को नहीं लगी। रात में किसी ने मामले की सूचना प्रशासन व पुलिस को नहीं दी।

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जैसे ही सुबह हुई तो मजदूरों के परिजनों में हादसे को लेकर सुगबुगाहट शुरू हो गई और वह सुगबुगाहट किसी राहगीर ने सुन ली। जब जाकर उसे इस घटनाक्रम की सूचना सफीदों प्रशासन व पुलिस को दी। सूचना पाकर प्रशासन में हडकंप मच गया। तभी एसडीएम सत्यवान मान व सिटी थाना प्रभारी सुरेश कुमार जेसीबी मशीन व क्रेन लेकर मौके पर पहुंचे और रेस्क्यू चलाया। दब गए दोनों मजदूर बिहार के बताए गए है। रेस्क्यू के दौरान एक दबे मजदूर का शव तो बरामद हो गया। समाचार लिखे जाने तक दूसरे मजदूर की तलाश जारी थी।

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क्या था घटनाक्रम

मिली जानकारी के अनुसार नगर के हाट रोड स्थित एटीएस राइस मील में रात को ब्लायलर पर काम चल रहा था। जिस पर 5 मजदूर काम कर रहे थे। अचानक ब्लास्ट के साथ ब्वायलर के पश्चिमी छोर की ड्राईल मशीन का हिस्सा नीचे धंस गया। हादसा होते ही 3 मजदूर तो कूदकर निकलने में कामयाब हो गए लेकिन सबसे ऊपर काम कर रहे दो मजूदर इसमें दब गए। दबे हुए मजदूरों की पहचान सूरज (24) निवासी कोरई बेगूसराय बिहार तथा नितिश (20) निवासी कपूरी चौंक समस्तीपुर बिहार के रूप हुई है। इस मामले की किसी को भी रात में जानकारी नहीं लगी। बच गए तीनों मजूदर भी सदमें में आ गए थे और वे किसी को कुछ बताने की स्थिति में नहीं रहे। सुबह तक जब उन्होंने होश संभाला और उन्होंने इसकी चर्चा मिल में काम करने वाले अन्य मजदूरों व परिवारों से की तो मामला उजागर हुआ। किसी ग्रामीण ने इस चर्चा को सुन लिया और सारी जानकारी प्रशासन को दी। सूचना पाकर एसडीएम सत्यवान सिंह मान, डीएसपी आशिष कुमार व सिटी थाना प्रभारी सुरेश कुमार मौके पर पहुुंचे और स्थिति का जायजा लिया। प्रशासन ने आनन-फानन में कई जेसीबी व क्रेनों को मौके पर बुलवाया और मजदूरों का सर्च अभियान शुरू किया। बताया जाता है कि यह ब्लायलर अपनी जगह कई फूट नीचे धंस गया था। मजदूरों को तलाश करने में प्रशासन को भारी मशक्कत करनी पड़ी। कई घंटों की मशक्कत के बाद एक मजूदर को निकालने में जेसीबी मशीनें कामयाब हो गई। निकाले गए मजूदर की पहचान नितिश के रूप में हुई। जब जब नितिश को निकाला तब तक उसकी मौत हो चुकी थी। उसके बाद प्रशासन ने दूसरे दबे हुए मजदूर सूरज को निकालने का कार्य शुरू किया लेकिन सबसे ज्यादा दिक्कत यह थी कि कहीं पूरा ब्वायलर ही रेस्क्यू टीम पर आकर ना गिर जाए क्योंकि यह ब्वायलर काफी लंबा व चौडा था और उसमें सैंकड़ों किवंटल धान भरी हुई थी। इस ब्वायलर को काबू करने के प्रशासन ने बड़ी क्रेन मशीन को मौके पर बुलवाया ताकि इसको वह ऊपर की ऊपर संभाल सके और नीचे जेसीबी मशीनें काम कर सके।

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मील प्रबंधन की रही भारी लापरवाही

इस सारे मामले में मील प्रबंधन की भारी लापरवाही रही। यह हादसा रात को करीब 3 बजे हुआ था लेकिन सुबह 9 बजे तक किसी ने भी इस जानकारी प्रशासन व पुलिस को नहीं दी। अगर समय रहते इसकी जानकारी अधिकारियों को मिल जाती और रेस्क्यू उसी समय शुरू किया जाता तो हो सकता था कि इन मासूम मजदूरों की जान बचाई जा सकती थी। यहां तक कि मील प्रबंधन ने मील के मुख्य द्वार पर ताला लगा दिया और बाहर से ऐसा लग रहा था कि यहां पर कुछ हुआ ही नहीं है। प्रशासन ने मिल के पीछे से जाकर रेस्क्यू शुरू किया। इस सारे प्रकरण में मिल प्रबंधन अपना पल्लू झाड़ता हुआ नजर आया तथा उनका कोई जिम्मेवार व्यक्ति मौके पर नहीं पहुंचा। मिल के अधिकारी व कर्मचारी छिपते हुए नजर आ रहे थे। मौके पर मिल मालिक के कुछ नुमाइंदे जरूर पहुंचे लेकिन वे कुछ कर पाने या बता पाने में बेबस नजर आ रहे थे। मिल के कर्मचारियों का सहयोग ना मिल पाने के कारण प्रशासन को रेस्क्यू में काफी दिक्कतें आई। इस मिल का मालिक विपिन कुमार निवासी नरेला दिल्ली का बताया गया है। इस मामले को मिल के कर्मचारी अपनी लापरवाही ना बताकर केवल एक हादसा करार दे रहे है। यहां कि सुपरवाईजर मोहम्मद फरहान का कहना है कि यह कुदरती हादसा है। इससे आगे वे कुछ भी नहीं जानते। यह हादसा रात को करीब पौने 3 बजे हुआ है। वे सुबह ड्यूटी पर आए तो ही उन्हे इस हादसे का पता चला है।

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समय पर नहीं पहुंची एंबूलेस

इस मामले में प्रशासन तो सूचना मिलते ही रेस्क्यू में जुट गया। काफी मशक्कत के बाद एक मजदूर नितिश को निकालने में कामयाबी तो हासिल की लेकिन उसको अस्पताल पहुंचाने के लिए एंबूलेस की सुविधा करने में प्रशासन असहाय नजर आया। जैसे ही नितिश मिला तो मौके पर एंबूलेस की पुकार पड़ गई लेकिन एंबूलेस वहां पर उपलब्ध नहीं थी और विलाप करते हुए परिजन भी मौके पर पहुंच गए थे। प्रशासन व पुलिस के समक्ष पीडि़त परिवार को संभालने व नितिश को अस्पताल पहुंचाने की चुनौती खड़ी हो गए। तभी सिटी थाना प्रभारी सुरेश कुमार ने मौके पर तत्परता दिखाते हुए परिवार की महिलाओं को संभाला और नितिश को पुलिस की गाड़ी में नागरिक अस्पताल पहुंचाया। जब नितिश को वहां से ले जाया जा चुका था उसके काफी देर के बाद एंबूलेस मौके पर आकर खड़ी हो गई।

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गरीब परिवार से ताल्लुक रखते हैं दोनों मजदूर

ब्वायलर में दबे दोनों मजदूर गरीब परिवारों से ताल्लुक रखते थे तथा मेहनत मजदूरी करके अपने परिवारों का पालन-पोषण करते थे। दबे हुए मजदूर सूरज की शादी इसी वर्ष फरवरी माह में हुई थी। इस मिल में वह पिछले 6-7 महीने से यहां कार्यरत था। वह चार बहनों पर इकलौता भाई था। अभी उसको निकाला नहीं जा सका है। वहीं नितिश 9 दिन पहले यहां पर काम करने के लिए आया था। वह दो भाई और 4 बहनों में सबसे छोटा था। दोनों मजदूरों के साथ हुए हादसे से परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था।

क्या कहते हैं सिटी थाना प्रभारी

इस मामले में सिटी थाना प्रभारी सुरेश कुमार ने कहा कि जैसे ही घटना की सूचना उन्हे प्राप्त हुई तो वे मौके पर पहुंचे और स्थिति का जायजा लिया। पूरे मामले से उच्चाधिकारियों को अवगत करवाया गया। दबे हुए मजदूरों को निकालने के लिए रेस्क्यू चलाया गया है तथा एक मजदूर को अभी निकाल लिया गया है। दूसरे मजदूर की तलाश जारी है।

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