सुरेंद्र प्रसाद सिंह, नई दिल्ली। रूस और यूक्रेन के बीच छिड़े युद्ध ने अंतरराष्ट्रीय कमोडिटी मार्केट का संतुलन बिगाड़ दिया है। जबकि दूसरी तरफ दक्षिणी अमेरिकी देशों के साथ यूरोप और कुछ अफ्रीकी देशों में कम बारिश के चलते कृषि उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। इससे वैश्विक बाजार में महंगाई बढ़ी है। खाद्यान्न की सप्लाई में व्यवधान पैदा होने से वैश्विक स्तर पर हाहाकार मचा है। इन सारी स्थितियों के विपरीत भारत के कृषि क्षेत्र में बंपर उत्पादन हुआ है।
पिछले वर्ष के मुकाबले लगभग 30 प्रतिशत अधिक उत्पादन ने भारत को उस मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया है, जहां हम दूसरे देशों का पेट भर सकें। हाल ही में पीएम नरेन्द्र मोदी और अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन के बीच बातचीत में वर्तमान वैश्विक खाद्य संकट में भारत की भूमिका पर चर्चा हुई थी।
भारत की ओर देख रही दुनिया
यूएई की ओर से अनाज के बदले तेल का प्रस्ताव
यूएई के जरिये भारतीय अनाज कई देशों में पहुंचता रहा है, अब उसकी मांग बढ़ गई है। पहले भी यूएई की ओर से अनाज के बदले तेल का प्रस्ताव आया है। दरअसल, रूस-यूक्रेन युद्ध से सप्लाई चेन प्रभावित हुई है। वैश्विक बाजार में इन दोनों देशों से सूरजमुखी 56 प्रतिशत, जौ 19 प्रतिशत, गेहूं 14 प्रतिशत और मक्का 4.5 प्रतिशत सप्लाई होता है, जो युद्ध की वजह से ठप हो चुका है।
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अर्जेटीना-ब्राजील में सूखे की स्थिति
दक्षिणी अमेरिका देशों जैसे अर्जेटीना, ब्राजील और चिली में सूखे की स्थिति पैदा हो गई है। यहां सोयाबीन, कार्न, गेहूं, ऊन और सब्जियां और फलों की खेती होती है। दक्षिणी अमेरिकी देशों से विश्व बाजार में सोयाबीन, पाम आयल की तिलहनी फसलों के साथ चीनी की सप्लाई होती है, जो सूखे की वजह से ठप हो गई है।
बारिश कम होने से यूरोपीय संघ के देशों में उत्पादकता घटी
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यूरोपीय संघ के दक्षिणी पश्चिमी क्षेत्रों में बारिश कम होने से फसलों की उत्पादकता घटी है। गेहूं की खेती का रकबा भी घटा है। संघ के देशों में फसल वर्ष 2022 में कुल 13.40 करोड़ टन गेहूं की पैदावार का अनुमान लगाया गया है। उत्तरी अफ्रीकी देशों में भीषण सूखा पड़ा है, जिससे मोरक्को, अल्जीरिया और सेंट्रल ट्यूनिशिया में बहुत कम पैदावार होने का अनुमान है। अन्य अफ्रीकी देशों में मक्के की पैदावार प्रभावित हुई है।
भारत के पड़ोसी देशों की भी स्थिति अच्छी नहीं
भारत के पड़ोसी देशों की भी स्थिति अच्छी नहीं है। श्रीलंका में कृषि उत्पादन 50 प्रतिशत तक सिमट गया है। पाकिस्तान में गेहूं की फसल में गंभीर बीमारी का प्रकोप हो गया था, जिससे उत्पादन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। खाड़ी देशों की खाद्यान्न निर्भरता धीरे-धीरे भारत की ओर बढ़ती जा रही है। यहां से चावल, गेहूं व चीनी ही नहीं बल्कि सब्जियां और फलों की भी अच्छी मांग है। इन देशों में चीन से आयात करने के बजाय उनका रुझान भारतीय कृषि उत्पादों की ओर ज्यादा है।