मानसूनी बारिश ने करनाल के किसानों को निहाल कर दिया है। अकेले करनाल में 306 MM पानी बरसा तो किसानों के साथ बिजली निगम और व्यापारी वर्ग भी फायदे में रहा। किसानों की जहां फसल में खर्च की लागत घट गई, वहीं बिजली निगम में प्रतिदिन 30 लाख यूनिट बिजली की डिमांड कम हो गई। उद्योगों के कट नहीं लगने से वहां भी जमकर उत्पादन हुआ। बता दें कि गर्मी के दिनों खासकर धान के सीजन में खेती के लिए बिजली की डिमांड पूरी कर पाना निगम अधिकारियों के लिए कड़ी चुनौती साबित होता था।
जानकारी के अनुसार जुलाई माह में पूरे हरियाणा प्रदेश में करीब 11732 मेगावॉट बिजली की प्रतिदिन खपत थी। जाे इस माह में घटकर करीब 98 हजार मेगावॉट ही रह गई है। मौसम वैज्ञानिकों की माने तो प्रदेशभर में अब तक 306 एमएम से अधिक से बरसात हो चुकी है, जो आने वाले दिनों में और बढ़ जाएगी। 18 अगस्त से फिर एक बार मौसम में बदलने वाला है। विशेषज्ञों की माने तो पूरे सितम्बर माह अच्छी बरसात होने की संभावना है।
उतर हरियाणा में 3.32 लाख ट्यूबवेल कनेक्शन
बिजली निगम से मिली जानकारी के अनुसार उतर हरियाणा में 3 लाख 32 हजार 323 ट्यूबवेल कनेक्शन है। वहीं प्रदेश में इस बार 34 लाख एकड़ में धान लगाई है। पिछले महीने से हो रही बारिश से अब सभी फीड़रों में खेतों का लोड केवल नाम मात्र ही है। जून माह में बिजली खेतों की बिजली पूरी करने में अधिकारियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था। लेकिन अब स्थिति बिल्कुल ठीक है।
हरियाणा में सिंचाई के आकड़े
जानकारों की माने तो हरियाणा में आज भी 48.36 प्रतिशत जमीन की सिंचाई नहरों से होती है, जबकि 51.12 प्रतिशत सिंचाई ट्यूबवेलों से की जाता है। हरियाणा को हर वर्ष करीब 200 लाख एकड़ फीट पानी की जरूरत होती है। यमुना और भाखड़ा से करीब 23 लाख एकड़ फीट पानी प्रदेश को मिल पाता है, जबकि 120 लाख एकड़ फीट पानी की आपूर्ति ट्यूबवेलों पर टीकी है। हरियाणा में कुल ट्यूबवेल कनेक्शन 5 लाख के करीब हैं। जबकि 2 लाख से ज्यादा ज्यादा डीजल पम्प डीजल पम्प जिनसे खेतों में सिंचाई की जाती है। कुल मिलाकर प्रदेश में आज भी करीब 57 लाख एकड़ फीट पानी की कमी है।
बिजली की मांग और आपूर्ति में भारी अंतर
बिजली निगम के कर्मचारियों की माने तो धान के सीजन में बिजली की मांग और आपूर्ति में भारी अंतर होता था, जिसे पूरा कर पाना मुश्किल हो जाता था। निगम अधिकारियों को डर सताता रहता था कि अगर खेती के लिए पर्याप्त बिजली न दी गई तो किसान के आक्रोशित हो सकते है, जो उनके लिए मुसीबत से कम नहीं होगा।
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इसे देखते हुए निगम अधिकारी घरेलू व औद्योगिक क्षेत्रों को दी जाने वाली बिजली में कटौती कर खेती की डिमांड पूरी करने का प्रयास करते थे। इसे देखते हुए निगम अधिकारी पहले से ही हर स्थिति पर नजर रखने के लिए टीम गठित कर देते है, जैसे ट्रांसफार्मर खराब होना, तार टूटना या बिजली की कमी होने पर उसे किस प्रकार से पूरा करना आदि।
बारिश से हर तरफ राहत
बारिश की वजह से उद्योगों को चलाने के लिए पूरी बिजली मिल रही हैं, जिससे उत्पादन की क्षमता प्रभावित नहीं हो पाई। दूसरा अधिकारियों को अतिरिक्त प्रयास नहीं करने पड़े। दूसरी ओर सबसे बड़ी बात ये कि बारिश उन किसानों के लिए बहुत बड़ी राहत लेकर आई, जिन किसानों के पास बिजली कनेक्शन नहीं होते, जो केवल डीजल खर्च कर खेती पर निर्भर होते या फिर बरसात पर।
अब जबकि लगातार बारिश हो रही है, जिसके चलते किसानों को डीजल खर्च करने से काफी राहत मिली हैं, अमूमन प्रति एकड़ पर करीब 8 से 10 हजार का डीजल खर्च हो जाता था, लेकिन इस बार यह खर्च पिछली बार से भी कम बहुत कम होगा।
पिछले साल से ज्यादा बारिश का अनुमान
मौसम विभाग की माने तो पिछले साल हरियाणा में 571.03 एमएम बारिश हुई थी, जो सामान्य से 30 अधिक रही है। जबकि इस साल अब तक करीब करीब 306 एमएम बारिश हरियाणा में हो चुकी है। मौसम विभाग की माने तो 18 अगस्त से सितम्बर माह के अंत तक तेज बरसात होने की संभावना है, इस बार हरियाणा में पिछले साल से ज्यादा बरसात होने का अनुमान हैं।
18 हजार यूनिट प्रतिदिन बिजली की खपत
बिजली निगम SE जसविंद्र सिंह नारा की माने तो इस समय प्रदेश में 90 से 99 हजार मेगावाट बिजली की है जबकि धान के सीजन में करीब 11732 मेगावाट पर पहुंच जाती है। ये डिमांड लगातार कई महीनों तक बनी रहती थी, लेकिन इस बार बारिश ने डिमांड में भारी कमी ला दी है। प्रदेश भर में खेती के लिए करीब 18 हजार यूनिट प्रतिदिन बिजली यूनिट खर्च हो रही है।
उन्होंने कहा कि अब मांग में भारी कमी है। हर जिले में करीब 88 हजार 455 ट्रांसफार्मरों के माध्यम से बिजली पहुंचाई जा रही है। जिस फीडर पर किसान का कनेक्शन जुड़ा हुआ है, उसका वॉट्सऐप नंबर को ग्रुप के साथ जोड़ा गया है ताकि दिक्कत होने पर परेशानी को दूर किया जा सके।