मानवाधिकार दिवस पर उपराष्ट्रपति बोले-कोई भी कानून से ऊपर नहीं: यह देश का नया मानदंड; NHRC अध्यक्ष ने कहा- आतंकियों से सहानुभूति अधिकारों का बड़ा नुकसान

मानवाधिकार दिवस पर उपराष्ट्रपति बोले-कोई भी कानून से ऊपर नहीं: यह देश का नया मानदंड; NHRC अध्यक्ष ने कहा- आतंकियों से सहानुभूति अधिकारों का बड़ा नुकसान

हर साल 10 दिसंबर को दुनिया भर में मानव अधिकार दिवस मनाया जाता है।

आतंकवाद के कारण पूरी दुनिया में मानवाधिकारों का उल्लंघन होता है। निर्दोष जनता परेशान होती है। आतंकवादियों से सहानुभूति रखना मानवाधिकारों का बड़ा नुकसान है। इसलिए हमें आतंक का महिमामंडन नहीं करनी चाहिए।

 

ये बात नेशनल ह्यूमन राइट्स कमीशन (NHRC) अध्यक्ष रिटायर्ड जस्टिस अरुण मिश्रा ने कही। वे मानवाधिकार दिवस पर भारत मंडपम में हुए इवेंट में मौजूद थे। 2023 में मानवाधिकारों के यूनिवर्सल डिक्लरेशन की 75वीं एनिवर्सिरी भी मनाई गई।

इस दौरान संयुक्त राष्ट्र के रेजिडेंट कॉर्डिनेटर शोम्बी शार्प और उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भी मौजूद थे। उन्होंने कहा कि हमारी सभ्यता, लोकाचार और संवैधानिक रूपरेखा मानव अधिकारों की सुरक्षा और उनके पालन के लिए हमारे कमिटमेंट को दिखाती है। यह हमारे डीएनए में है।250 लीटर लाहण व 29 बोतल शराब बरामद आबकारी अधिनियम के 5 अलग-अलग मामले दर्ज

रिटायर्ड जस्टिस अरुण मिश्रा के बयान की बड़ी बातें…

  • मानवाधिकारों के यूनिवर्सल डिक्लरेशन में ऐसी कई आदर्श बातें शामिल हैं, जो भारतीय मूल्यों से मिलती-जुलती हैं।
  • डिजिटल तकनीकों ने जीने के तरीके बदल दिए हैं। इंटरनेट उपयोगी है, लेकिन यह नफरत फैलाने वाले भाषण, फेक न्यूज फैलाता है।
  • इंटरनेट निजता का उल्लंघन करता है और लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं को कमजोर करता है।
  • गलत इरादों से इस्तेमाल करने पर समुदायों में विभाजन बढ़ा सकता है और मानवाधिकारों को कमजोर कर सकता है।
  • महिलाओं और बच्चों को सतत विकास के केंद्र में रखा जाना चाहिए।सरकार की योजनाओं का प्रत्येक व्यक्ति को मिल रहा है सीधा लाभ: विजयपाल सिंह

उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के भाषण की बड़ी बातें…

  • कोई भी कानून से ऊपर नहीं है, चाहे आप कितने भी ऊंचे क्यों न हों, कानून हमेशा आपसे ऊपर है, यह देश में नया मानदंड है।
  • राजनेताओं से मिलने वाली मुफ्त की रेवड़ी के लिए समाज में अंधी दौड़ है, लेकिन ये खर्चाें को बिगाड़ देती है। जेब को नहीं बल्कि मानव दिमाग को सशक्त बनाने की जरूरत है।
  • मानवाधिकार दिवस हमारे अमृत काल के साथ चल रहा है। हमारा अमृत काल मुख्य रूप से मानवाधिकारों और मूल्यों के खिलने के कारण हमारा गौरव काल बन गया है।
  • जब राजकोषीय संरक्षण में मानव सशक्तिकरण होता है तो मानवाधिकारों की रीढ़ मजबूत होती है।
  • पारदर्शिता और जवाबदेह शासन, एक नया मानदंड, मानवाधिकारों को बढ़ावा देने के लिए गेम चेंजर है।

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