महर्षि वाल्मीकि आदि काव्य रामायण के रचियिता थे: नरेश बराड़ सफीदों में धूमधाम से मनाई गई महर्षि बाल्मीकि जयंती

एस• के• मित्तल
सफीदों,     सफीदों शहर में शनिवार को महर्षि बाल्मीकि जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस मौके पर बतौर मुख्यातिथि समाजसेवी एवं शिक्षाविद् नरेश सिंह बराड़ ने शिरकत की। इस मौके पर समाज के लोगों ने नरेश सिंह बराड़ का फूल मालाएं पहनाकर व स्मृति चिन्ह प्रदान करके जोरदार अभिनंदन किया। नरेश सिंह बराड़ ने महर्षि बाल्मीकि प्रतीमा पर पुष्पाजंली अर्पित व दीप प्रज्जवलित करके उनका आशीर्वाद ग्रहण किया।
इस अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना व हवन का आयोजन किया गया। हवन में लोगों आहुति डालकर समाज की सुख-शांति की कामना की। इस अवसर पर आयोजित विशाल भंडारे में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। अपने संबोधन में नरेश सिंह बराड़ ने कहा कि महर्षि वाल्मीकि जी ने कहा था कि परमात्मा ने ही मनुष्य शरीर की संरचना करने में भेदभाव नहीं किया है तो हम सांसारिक लोग उस हकीकत को कैसे नकार सकते है। महर्षि वाल्मीकि संस्कृत भाषा के आदिकवि और आदि काव्य रामायण के रचियिता थे।
उन्होंने कहा कि शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जिसके माध्यम से समाज शैक्षिक, सामाजिक, धार्मिक, आर्थिक, राजनीतिक क्षेत्र में अग्रसर होकर समाज का विकास कर सकता है। भगवान वाल्मीकि प्रकट उत्सव पर वाल्मीकि समाज को ज्यादा से ज्यादा बच्चों को शिक्षा ग्रहण कराने का समाज को संकल्प लेना होगा।

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