हरियाणा के नारनौल में मनुमुक्त मानव मेमोरियल ट्रस्ट द्वारा वरिष्ठ साहित्यकार डॉ रामनिवास ‘मानव’ के सृजन की अर्द्धशती पर एक काव्य-संध्या का आयोजन किया गया। आईबी के पूर्व सहायक निदेशक तथा पटियाला से पधारे कवि नरेश नाज़ की अध्यक्षता में हुए इस काव्य-संध्या में नेपाल के पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री तथा काठमांडू से पधारे वरिष्ठ साहित्यकार त्रिलोचन ढकाल मुख्य अतिथि थे।
वहीं विवेकानंद सांस्कृतिक केंद्र, भारतीय दूतावास, रंगून (म्यांमार) की नवनियुक्त निदेशक डॉ. नूतन पांडेय और केंद्रीय हिंदी निदेशालय, नई दिल्ली के सहायक निदेशक डॉ. दीपक पांडेय विशिष्ट अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। जिला समाज कल्याण अधिकारी अमित शर्मा द्वारा कवियों और अतिथियों के स्वागत के उपरांत मंडी अटेली के कवि डॉ. छतरसिंह वर्मा के कुशल संचालन में लगभग 2 घंटों तक चली इस काव्य-संध्या में भारत, नेपाल, न्यूजीलैंड और अमेरिका सहित अनेक देशों के लगभग एक दर्जन कवियों ने सहभागिता की।
कवियों की कविताओं का आनंद लेते लोग।
काठमांडू (नेपाल) से पधारे डॉ. पुष्करराज भट्ट ने महायुद्ध की आशंका में जी रहे विश्व में मानवता की स्थापना पर बल दिया- होना चाहिए विश्व में मानवता का राज। मिलकर सभी उठाएं आज यही आवाज। धार्मिक सद्भाव और हिन्दू-मुस्लिम एकता के पक्षधर नरेश नाज़ का कहना था- भारत हिन्दू का वतन, मुस्लिम का भी धाम। अल्लाहु अकबर मैं कहूं, तू बोले श्रीराम।
आकलैंड (न्यूजीलैंड) से आये कवि रोहितकुमार ‘हैप्पी’ ने कविता के मर्म को उजागर करते हुए कुछ यूं फरमाया- तुमने शब्द गढ़े, जीये नहीं। तुम कवि तो हुए, कबीर नहीं। प्रवासी भारतीयों के मनो भावों को वाणी देते हुए सैनडियागो (अमेरिका) पधारी डॉ. कमला सिंह का कहना था- हिंदी की बिंदी लगाकर दिलों में, वतन से मोहब्बत बनाए हुए हैं।
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सदियों से बेशक विदेशों में हैं हम, तिरंगे को दिल में बसाए हुए हैं। कानून-व्यवस्था की बदहाली पर डॉ. रामनिवास ‘मानव’ का कहना था- खेल शिकारी का वही, वही दंत-नाखून। जारी है अब भी यहां, जंगल का कानून। उक्त कवियों के अतिरिक्त डॉ कपिल लामिछाने, काठमांडू और हरीशप्रसाद जोशी, कंचनपुर नेपाल, नियति भारद्वाज, पटियाला, डॉ. नूतन पांडेय और और डॉ. दीपक पांडेय, नई दिल्ली, विकेश निझावन, अंबाला, सुमित राजोरिया, बुलंदशहर और डॉ. पशुपतिनाथ उपाध्याय, अलीगढ़ उत्तर प्रदेश तथा अविनाश शर्मा जयपुर भी थे।