नई दिल्ली: आम बजट 2022-23 में घोषित डिजिटल करेंसी को लांच करने के लिए आरबीआइ की तैयारी तकरीबन पूरी है और केंद्र सरकार की तरफ से अनुमित मिलने के बाद इसे लागू कर दिया जाएगा। संभवत: चालू वित्त वर्ष की अंतिम तिमाही में इसे चरणबद्ध तरीके से लागू किया जाएगा। आरबीआइ की योजना पहले प्रायोगिक स्तर पर थोक ग्राहकों के लिए डिजिटल करेंसी लांच करने की है। उसके बाद प्रायोगिक स्तर पर खुदरा ग्राहकों के लिए इसे पेश किया जाएगा। दो चरणों के बाद अंतिम तौर पर आम लोगों को आरबीआइ की तरफ से निगमित डिजिटल करेंसी में लेन-देन करने या इसमें निवेश करने या इसके दूसरे वाणिज्यिक इस्तेमाल की छूट मिलेगी।
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अमेरिका में एक कार्यक्रम में भारत में केंद्रीय बैंक की डिजिटल करेंसी (सीबीडीसी) के बारे में बताया। सीतारमण ने साफ किया कि सरकार की मंशा सीबीडीसी के जरिये फाइनेंशिएल इन्कलूजन करना (पूरी आबादी को वित्तीय क्षेत्र से जोड़ना) कोई उद्देश्य नहीं है बल्कि मुख्य तौर पर यह वाणिज्यिक उद्देश्य के लिए होगी। आरबीआइ इस तथ्य को देख रहा है कि इसके क्या क्या वाणिज्यिक इस्तेमाल हो सकते हैं।
यूपीआइ से अलग होगी सीबीडीसी
इस बारे में आरबीआइ के अधिकारियों का कहना है कि सीबीडीसी की देश में डिजिटल भुगतान की मौजूदा व्यवस्था यूपीआइ से काफी अलग होगी। अलग होने का सबसे बड़ा कारण तो यह होगा कि सीबीडीसी को आरबीआइ की गारंटी होगी। जबकि यूपीआइ एक अन्य एजेंसी एनपीसीआइ की तरफ से विकसित की गई है। साथ ही यूपीआइ को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सर्वमान्यता नहीं है। दूसरी तरफ डिजिटल करेंसी की व्यवस्था रखने वाले देशों के बीच एक दूसरे की करेंसी को मान्यता देने में काफी आसानी होगी।
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दूसरे देश भी डिजिटल करेंसी लांच करने को तैयार
आरबीआइ की तरह ही कई दूसरे देशों की केंद्रीय बैंकों की तरफ से भी डिजिटल करेंसी लांच करने की तैयारी है। माना जा रहा है कि जिन देशों के पास डिजिटल करेंसी होगी उनके बीच वित्तीय भुगतान की व्यवस्था ज्यादा आसान व किफायती होगी। वैश्विक स्तर पर भुगतान की राह की कई बाधाएं खत्म हो जाएंगी। एक्सचेंज रेट में होने वाले उतार चढ़ाव से भी एक हद तक बचाव हो सकेगा।वित्त मंत्री की तरफ से आम बजट में इसकी घोषणा करने के पीछे एक बड़ी वजह यह भी थी कि भारत डिजिटल करेंसी में पीछे छूटने का जोखिम नहीं उठाना चाहता।
जनता के पास होगा एक और विकल्प
सीबीडीसी लांच करने की तैयारियों में जुटे अधिकारियों का कहना है कि आम जनता के पास डिजिटल करेंसी के तौर पर भुगतान करने का एक और विकल्प होगा। केंद्रीय बैंक को इससे एक फायदा यह होगा कि मुद्रा प्रबंधन पर उसकी लागत कम होगी। अभी सिस्टम में मुद्रा का एक हिस्सा लिक्विड फार्म में रखना होता है। इससे इसकी लागत ज्यादा होती है।