भविष्य में बहुत ज्यादा लोगों में होगी सुनने की समस्या

सांकेतिक भाषा करती है सबको एक 

दिव्यांग बच्चों ने मनाया अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस

 

एस• के• मित्तल 

जींद, आजादी का अमृत महोत्सव के तहत दर्पण कम्युनिकेशन सोसायटी द्वारा दर्पण रिहैबिलिटेशन सेंटर एवं स्पेशल स्कूल में अंतरराष्ट्रीय सांकेतिक भाषा दिवस मनाया गया। सभी दिव्यांग बच्चों व स्टाफ सदस्यों ने सांकेतिक भाषा को बढ़ावा देने की शपथ ली। मूक बधिर बच्चों ने सांकेतिक भाषा से संबंधित पेंटिंग आदि बनाकर इस भाषा का प्रचार किया।

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सोसाइटी अध्यक्ष श्रीभगवान राणा ने कहा कि दुनिया में करोड़ों लोग सुनने की क्षमता से वंचित या बहुत ही कमजोर हैं जिस वजह से उन्हें अपने निजी जीवन में बहुत सारा संघर्ष करना पड़ता है. उन्हीं के लिए रची गई सांकेतिक भाषा सभी लोगों को एक करने का काम भी करती है।

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संस्थान के कोर्स को ऑर्डिनेटर देवेंद्र अहलावत ने कहा कि इस दिवस का उद्देश्य आम जनता को भारतीय सांकेतिक भाषाओं के महत्व और सुनने में अक्षम व्यक्तियों के लिए सूचना और संचार सुलभता के बारे में जागरूक करना है। सांकेतिक भाषा न केवल लोगों को शिक्षित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, बल्कि सुनने में अक्षम व्यक्तियों के लिए रोजगार और व्यावसायिक प्रशिक्षण के सृजन में भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि इस वर्ष सांकेतिक भाषा दिवस -2022 का विषय ‘साइन लैंग्वेज यूनाइट अस’ है। यानि ‘सांकेतिक भाषा हमें एक करती है’।

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डॉ. आशुतोष ने कहा कि 7.2 करोड़ बधिरों में से 4.3 करोड़ लोग ऐसे हैं जिन्हें अपनी सुनने की क्षमता गंवाने के कारण पुनर्वास की जरूरत है और साल 2050 तक ऐसे लोगो की संख्या सात करोड़ से ज्यादा हो जाएगी। यानि हर दस में से एक व्यक्ति के साथ सुनने की समस्या हो जाएगी। इसीलिए यह बहुत जरूरी है कि ज्यादा से ज्यादा लोग सांकेतिक भाषा को समझें क्योंकि बधिरों के पास बोलने वाली भाषा सीखने का विकल्प नहीं है।

इस मौके पर दर्पण सोसाइटी के कार्यकारिणी सदस्य डॉ. राजेश्वर, डॉ. आशुतोष, जयपाल, सोनिका, अर्चना, जगदीश, साइकोलोजिस्ट विपुल, फियोथेरेपिस्ट डॉ. सुरेंदर, विशेष शिक्षक प्रमोद, रेखा, भारती, काजल, सुनैना, सुमित, लेक्चरर अक्षय, दीप्ति आदि सहित सभी दिव्यांग बच्चे मौजूद रहे।

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