प्राकृतिक चिकित्सा का मूल आधार प्रकृति है: डा. शंकरानंद सरस्वती

एस• के• मित्तल   
सफीदों,      भक्ति योग आश्रम ट्रस्ट द्वारा संचालित महामृत्युंजय प्राकृतिक चिकित्सालय द्वारा गांव सरनाखेड़ी में दो दिवसीय नि:शुल्क प्राकृतिक चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया। शिविर का शुभारंभ आयुर्वेदाचार्य डा. शंकरानंद सरस्वती ने किया। इस शिविर में क्षेत्र के सैकड़ों रोगियों ने चिकित्सा का लाभ उठाया। इस अवसर पर रोगियों को नि:शुल्क आयुर्वेदिक औषधियां भी वितरित की गईं।
इस दौरान शिविर में लोगों को प्रकृति के मूलभूत पंच तत्वों के साथ समायोजन करें जीवन यापन करने की विस्तृत जानकारी दी। अपने संबोधन में डा. शंकरानंद सरस्वती ने कहा कि  प्राकृतिक चिकित्सा का मूल आधार प्रकृति है। इसमें मिट्टी, पानी, धूप व हवा के माध्यम से ही रोगी का उपचार किया जाता है। प्राकृतिक चिकित्सा एक ऐसी अनूठी प्रणाली है जिसमें जीवन के शारीरिक, मानसिक, नैतिक और आध्यात्मिक तलों के रचनात्मक सिद्धांतों के साथ व्यक्ति के सद्भाव का निर्माण होता है।
इसमें स्वास्थ्य के प्रोत्साहन, रोग निवारक और उपचारात्मक के साथ-साथ फिर से मजबूती प्रदान करने की भी अपार संभावनाएं हैं। प्राकृतिक चिकित्सा मानव प्रणाली से रोगों के कारण दूर करने के लिए अर्थात रोग ठीक करने के लिए मानव शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालकर मानव प्रणाली की सहायता की वकालत करती है। इस चिकित्सा के माध्यम से मानव शरीर खुद रोगों से लड़ने में सक्षम बनता है।

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