प्राकृतिक चिकित्सा एक जीवनशैली है: डा. शंकरानंद सरस्वती छात्र-छात्राओं को दी प्राकृतिक चिकित्सा के बारे में विस्तार से जानकारी

एस• के• मित्तल 

सफीदों,   राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस को लेकर नगर के बीएसएम स्कूल में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि भक्ति योग आश्रम के संचालक एवं आयुर्वेदाचार्य डा. शंकरानंद सरस्वती ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता स्कूल के चेयरमैन अरूण खर्ब ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। वहीं चेयरमैन अरूण खर्ब ने डा. शंकरानंद सरस्वती को स्मृति चिन्ह व शॉल भेंट करके उनका अभिनंदन किया।

डा. शंकरानंद सरस्वती ने छात्र-छात्राओं को प्राकृतिक चिकित्सा के बारे में विस्तार से जानकारी प्रदान की। शंकरानंद सरस्वती ने बताया कि राष्ट्रीय प्राकृतिक चिकित्सा दिवस प्रतिवर्ष धूमधाम से मनाया जाता है। इसी उपलक्ष्य में जन जागरण के उद्देश्य से विभिन्न कालेजों व स्कूलों में स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है। स्वामी शंकरानंद सरस्वती ने विद्यार्थियों से प्रात:काल उठने, माता पिता व गुरुजनों का सम्मान करने, फास्ट फूड व मोबाइल से दूर रहने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा एक जीवनशैली है और इसे हम सभी को अपनाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा पद्धति हमारे जीवन को सरल बनाने के लिए सहायक सिद्ध होती है। प्राकृतिक चिकित्सा सबसे प्राचीन पद्धतियों में से एक है। पहले हमारे पूर्वज प्राकृतिक चिकित्सा से ही अपना इलाज करवाते थे। यह पद्धति रोग की जड़ को खत्म करने का काम करती है। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक चिकित्सा ऐसी अनुठी प्रणाली है, जिससे जीवन के शारीरिक, मानसिक, नैतिक व आध्यात्मिक तथा रचनात्मक सिद्धांतों के साथ व्यक्ति के सद्भाव का निर्माण होता है।

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