प्रशासनिक कार्रवाई ने वसीका नवीसों व स्टांप वेंडरों में पनपा रोष
प्रशासन ने 70 परिवारों के पेट पर मारी लाठी: वसीका नवीस
एस• के • मित्तल
सफीदों, उपायुक्त जींद के मौखिक आदेशों पर सफीदों प्रशासन ने मंगलवार को मिनी सचिवालय में पिछले 22 सालों से बैठे वसीका नवीस शीतल प्रकाश, निहालचंद, विनोद कुमार, अजीत सिंह, विजय प्रकाश तथा स्टांप वेंडर शिवकुमार व धर्म सिंह को नोटिस जारी करके उनके पक्के चेंबरों और दुकानों को खाली करवा लिया। प्रशासन की इस कार्रवाई से वसीका नवीसों व स्टांप वैंडरों में भारी रोष देखने को मिला।
बता दें कि 26 अगस्त को तहसीलदार ने वसीका नवीसों व स्टांप वैंडरों को नोटिस जारी करके कहा था कि उनके द्वारा तहसील कांप्लेक्स में बनाए गए पक्के चेंबर व दुकाने अवैध हैं। इन चैंबरों व दुकानों के कारण आमजन को आने-जाने व वाहन पार्किंग में काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। नया सचिवालय लगभग बनकर तैयार हो चुका है और नए सचिवालय में कुछ अन्य विभागों का समावेश भी होना है। कार्य की अधिकता व आमजन की सुविधा को देखते हुए मध्य में बनाए गए पक्के चेंबरों व दुकानों को हटवाने के लिए उपायुक्त जींद व एसडीएम सफीदों से मौखिक आदेश प्राप्त हुए हैं। उपायुक्त जींद व एसडीएम सफीदों द्वारा किए गए औचक निरीक्षण के दौरान अवैध तरीके से बनाए गए पक्के चेंबरों और दुकानों पर आपत्ति जताई गई है। इससे पहले 12 अगस्त को भी नोटिस जारी किया गया था। उसके बावजूद भी वसीका नवीस व स्टांप वैंडर निर्माण संबंधी किसी सक्षम अधिकारी की लिखित अनुमति व कोई ठोस सबूत पेश नहीं कर पाए। इसको लेकर मंगलवार तक का नोटिस वसीका नवीसों व स्टांप वैंडरों को नोटिस जारी किया गया था।
नोटिस की अनुपालना में वसीका नवीसों व स्टांप वैंडरों ने मंगलवार प्रात: अपने-अपने परिसर खाली कर दिए। वहीं उनमें प्रशासन के प्रति रोष देखने को मिला। प्रशासन की इस कार्रवाई पर वसीका नवीसों व स्टांप वेंडरों का कहना था कि वह पिछले करीब 22 साल से इस जगह पर डॉक्यूमेंट लिखने, स्टांप बेचने व सरकार की अन्य योजनाओं के कागज तैयार करने का कार्य कर रहे हैं। करीब 22 साल पहले तात्कालीन एसडीएम सीआर राणा ने खुद यह चेंबर बनवाने की अनुमति प्रदान की थी। उन्होंने खुद अपने पैसों से अपने-अपने चेंबरों का निर्माण करवाया था। सरकार की ओर से उन्हे जारी लाइसेंस में भी हिदायत दी गई है कि वे तहसील परिसर में बैठकर कार्य कर सकते हैं। उनका उनका कहना था कि सफीदों व जिला प्रशासन ने दादागिरी दिखाते हुए उनके परिसर खाली करवाए है। प्रशासन ने उनसे यहां से तो जगह खाली करवा ली लेकिन उनके बैठने की कोई व्यवस्था नहीं की गई। उनका कहना है कि सरकार के लगभग सभी कार्य ऑनलाइन तरीके से होते हैं। उसके लिए पर्याप्त जगह, बिजली, कम्प्यूटर व इंटरनेट की आवश्यकता होती है और ये कार्य खुले में बैठकर नहीं किए जा सकते हैं।
उनका कहना था कि प्रशासन के इस फरमान से करीब 70-80 परिवारों के पेट पर लाठी लगी है। उन्होंने बताया कि उनके पास प्रशासन की ओर से जारी किया गया किरायानामा भी है तथा वे वर्ष 2016 तक सरकार को किराया भी अदा करते आए है। उसके बाद प्रशासन ने उनसे किराया लेना बंद कर दिया था। उन्होंने कहा कि उनके पास रोजी-रोटी का केवल यहीं साधन है और उम्र के इस पड़ाव में आकर वे अब कुछ ओर नया धंधा भी नहीं कर सकते। उन्होंने प्रशासन से मांग की कि वह अपना फरमान वापिस ले और उन्हें यहीं पर बैठने की इजाजत दी जाए या उन्हें कोई नई जगह तहसील परिसर में अलॉट की जाए।