पोल्ट्री अवशेष से बने जैविक खाद बेहद लाभकारी: जगबीर ढुल

किसानों को नि:शुल्क 100 टन जैविक खाद वितरित

एस• के• मित्तल 
सफीदों, स्काईलार्क हैचरीज प्रा. लि. ने सीएसआर नीति के तहत हलके के किसानों को नि:शुल्क जैविक खाद वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया। कार्यक्रम में कंपनी के प्रबंध निदेशक जगबीर ढुल, पूर्व विधायक जसबीर देशवाल व कृषि विभाग के एसडीओ डा. सुशील गुप्ता ने विशेष रूप से शिरकत की।
इस मौके पर क्षेत्रभर से आए काफी तादाद में किसान मौजूद थे। कंपनी के प्रबंध निदेशक जगबीर ढुल ने बताया कि एक विशेष तकनीक के जरिए पोल्ट्री मल-मूत्र से बायोगैस तैयार किया जाता है। बायोगैस का इस्तेमाल बिजली उत्पादन में होता है और इसके अवशेष से जैविक खाद बनाया जाता है। उन्होंने कहा कि बायोगैस तैयार होने के बाद पोल्ट्री अवशेष में पोषक तत्वों की प्रचुर मात्रा रहती है। खासकर यह मिश्रण सूक्ष्म पोषक तत्वों से भरपूर होता है जिसका उपयोग जैविक कृषि के लिए बहुत लाभदायक होता है। पोल्ट्री अवशेष के जैविक खाद से बीजों का अंकुरण काफी अच्छा होता है। यह जैविक खाद कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के परीक्षण केन्द्र से मान्यता प्राप्त है। उन्होने कहा कि कोई भी किसान खेती की आवश्यकता के अनुसार कंपनी से नि:शुल्क जैविक खाद प्राप्त कर सकता है।
इस मौके पर उपस्थित कृषि विभाग के एसडीओ डा. सुशील गुप्ता ने बताया कि इस जैविक खाद में प्रचुर मात्रा में नाइट्रोजन, पोटेसियम व अन्य पोषक तत्व मौजूद हैं। इस प्रौद्योगिकी के विकास से न केवल स्वच्छता को बढ़ावा मिलता है बल्कि फसलों को खतरनाक रासायनों से भी बचाया जा सकता है। उन्होंने बताया कि देश में बड़े पैमाने पर पोल्ट्री उद्योग के विकसित होने के कारण सालाना करीब तीन करोड़ टन मल-मूत्र निकलता है। इसके सही निष्पादन और इस्तेमाल से खेतों के बड़े हिस्से में रासायनिक खाद रहित जैविक खेती की जा सकती है।
लाभार्थी किसान अनिल कुमार ने बताया कि वह पिछले चार वर्षो से पोल्ट्री अवशेष निर्मित जैविक खाद का प्रयोग कर रहे है। रासायनिक खाद के मुकाबले जैविक खाद से कृषि लागत कम और मुनाफा बढ़ गया है। साथ ही मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार हुआ है। उन्होने कहा कि इस खाद से गेहूं, धान, गन्ना, चना, आलू, सरसो, प्याज, लहसुन इत्यादि फसलों पर अत्यंत लाभकारी परिणाम मिला है और भूमि की उर्वरा शक्ति में भी इजाफा हुआ है।

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