पेरेंट्स के लिए राहत की खबर, मॉडल संस्‍कृति स्‍कूलों में दाखिले की आखिरी तारीख बढ़ी

 

चंडीगढ़. प्राइवेट स्‍कूलों (Private Schools) की मनमानी फीस से परेशान अभिभावकों के लिए राहत की खबर है. अपने बच्‍चों को सीबीएसई बोर्ड (CBSE Board) में पढ़ाने के इच्‍छुक अभिभावक प्राइवेट स्‍कूलों के बजाय अब संस्‍कृति मॉडल स्‍कूलों में दाखिले करा सकते हैं. हरियाणा शिक्षा विभाग (Haryana Education Department) ने राज्‍य में खोले गए सीबीएसई बोर्ड से संबंद्ध मॉडल संस्‍कृति स्‍कूलों में दाखिले की अंतिम तारीख बढ़ा दी है. इससे अभिभावकों (Parents) को एडमिशन के लिए एक बार फिर मौका मिल गया है.

पेरेंट्स के लिए राहत की खबर, मॉडल संस्‍कृति स्‍कूलों में दाखिले की आखिरी तारीख बढ़ी

कोरोना (Corona) के बाद से ही प्राइवेट स्कूलों की और से वसूली जा रही जबरन और मनमानी फीस के कारण पेरेंट्स अपने बच्‍चों को प्राइवेट से स्‍कूलों से हटाकर सरकारी स्कूलों में दाखिल कर रहे हैं. हालांकि कुछ अभिभावक हरियाणा बोर्ड (Haryana Board) के बजाय सीबीएसई बोर्ड से बच्‍चों को पढ़ाई कराना चाहते हैं. इसी को ध्‍यान में रखते हुए अब शिक्षा विभाग ने सभी मॉडल संस्कृति विद्यालयों (Model Sanskriti Schools) में नए दाखिले कराने की तारीख 10 मई तक बढ़ा दी है. लिहाजा पेरेंट्स को 3 दिन का समय और मिल गया है.

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इस बारे में हरियाणा अभिभावक एकता मंच ने अभिभावकों से कहा है कि वे इसका फायदा उठाएं और अपने बच्चों का दाखिला सरकारी स्कूलों में करायें. मंच के प्रदेश महासचिव कैलाश शर्मा ने सरकारी स्कूलों के सभी प्रिंसिपल व हेड मास्टर से भी अपील की है कि वे सरकारी स्कूलों में दाखिला लेने वाले सभी बच्चों का दाखिला प्राथमिकता के आधार पर करें. कागजी कार्रवाई में अगर कोई कमी है तो उसे व्यक्तिगत रुचि लेकर स्वयं दूर कराएं. देखा गया है कि कई स्कूलों में अभिभावकों को अपने बच्चों का दाखिला कराने के लिए काफी परेशानी उठानी पड़ती है. उनके कई चक्कर लगवाए जाते हैं. ऐसा नहीं होना चाहिए.

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इसके अलावा मंच ने अभिभावकों और स्‍कूलों से ये भी अपील की है कि यह भी ध्यान रखा जाए कि पिछले शिक्षा सत्र 2021-22 में जितने बच्चे प्रत्येक क्लास में पढ़ाई कर रहे थे वे सभी आगे की क्लास में जरूर पढ़ाई करने के लिए आएं. एक भी छात्र ड्रॉपआउट ना रहे. अगर पिछला बच्चा स्कूल नहीं आ रहा है तो उसको स्कूल आने के लिए हर संभव प्रयास किए जाएं. मंच ने कहा है कि ऐसा ना हो कि एक स्कूल में 50 बच्चे ड्रॉप आउट हुए और 50 बच्चे नए दाखिले में आए. तो इससे कोई फायदा नहीं होगा. ड्रॉपआउट को हर हालत में रोकना है. तभी सरकारी स्कूलों में नए दाखिले की बढ़ोतरी मानी जाएगी.

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