पराली जलाने की बजाय किसान बनाएं जैविक खाद, बढ़ाएं भूमि की उर्वरा शक्ति : उपायुक्त डॉ. मनोज कुमार

 

 

  1. एस• के• मित्तल

जींद, पराली को आय का स्रोत बनाते हुए किसान पर्यावरण संरक्षण में अतुलनीय भूमिका निभा सकते हैं। कृषि विभाग के माध्यम से किसानों को पराली न जलाकर उसका सदुपयोग करने के लिए भी प्रेरित किया जा रहा है।

शिक्षा रूपी धन ना कोई बांट सकता है और ना कोई चुरा सकता: राजकुमार मोर

ये बात उपायुक्त डॉ. मनोज कुमार ने कही। उपायुक्त डॉ. मनोज कुमार ने कहा कि फसल कटाई के सीजन के दौरान प्रतिवर्ष किसानों द्वारा फसल अवशेष जलाने से वातावरण में प्रदूषण की मात्रा बढ़ जाती है, जिससे जहां एक तरफ भूमि बंजर होती है वहीं वायु प्रदूषण से मानव जीवन व जीव जंतुओं पर भी संकट मंडराने लगता है। फसल अवशेषों में आग लगाने से हवा में प्रदूषण के छोटे-छोटे कणों से पीएम 2.5 का स्तर अत्यधिक बढ़ जाता है और सांस लेने में तकलीफ होती है। कोरोना संक्रमित रोगियों के लिए यह प्रदूषण और भी अधिक नुकसानदायक है। वहीं फसल अवशेष जलाने से पैदा हुए धूएं से अस्थमा व कैंसर जैसे रोगों को भी बढ़ावा मिलता है।

गुरु तेग बहादुर 400वां प्रकाश पर्व मनाना मनोहर सरकार का सराहनीय कदम: बचन सिंह आर्य

उन्होंने कहा कि पराली को जलाने से भूमि में मौजूद कई उपयोगी बैक्टीरिया व कीट नष्ट हो जाते हैं वहीं मिट्टी की जैविक गुणवत्ता भी प्रभावित होती है। उन्होंने किसानों से अपील की कि वे फसल अवशेष प्रबंधन को अपनाएं, धान के फानों को जलाने की अपेक्षा उनका प्रबंधन करें। उन्होंने कहा कि किसान राष्ट्रीय कृषि नीति की पालना करके पर्यावरण संरक्षण में अपना योगदान दे सकते हैं।

बीजेपी जिलाध्यक्ष राजू मोर ने सरस्वती स्कूल सफीदों के वार्षिक पारितोषिक कार्यक्रम में प्रैस कॉन्फ्रेंस में क्या कहा… देखिए लाइव…

उन्होंने कहा कि नागरिक सजगता का परिचय देते हुए पराली को न जलाएं बल्कि पराली के अवशेषों का उपयोग प्रभावी तरीके से करें। उन्होंने कहा कि कोई भी व्यक्ति पराली को आग न लगाएं और दूसरों को भी इस बारे में जागरूक करें। सामूहिक संकल्प से ही हम जिला को प्रदूषण मुक्त बना सकते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!