हार मानने से होती है और जीत ठानने से। ऐसा मानना है राजपुरा (पंजाब) के गांव बड़ोली गुजरा निवासी गेंदा राम का। अपने आस पास के क्षेत्र में 62 वर्षीय गेंदा राम गेंदा पहलवान के नाम से फेमस हैं। वैसे तो गेंदा पहलवान का जीवन संघर्ष से गुजरा है, लेकिन वे हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणादायक हैं, जो अपनी जिंदगी से हार मान चुके हैं।
गांव बड़ोली गुजरा में जन्मे गेंदा राम पिछले 45 सालों से दंगल में अपना दमखम दिखा रहे हैं। एक वक्त ऐसा भी आया कि जिंदगी और मौत के बीच जूझना पड़ा, लेकिन गेंदा पहलवान है, जिसने मौत को भी पटखनी दी।
4 वर्ष पहले मुंह में कैंसर होने के बाद गेंदा राम जानलेवा बीमारी से बूझते तो रहे ही साथ ही आर्थिक तंगी भी झेलनी पड़ी। कई थैरेपी हुई, आखिर में मुंह का ऑपरेशन कराना पड़ा।
लिक्विड के सहारे जी रहे गेंदा
कैंसर को मात देने के बाद से गेंदा राम लिक्विड के सहारे चल रहे हैं, लेकिन दंगल में युवा पहलवानों को पटखनी दे रहे हैं। हरियाणा के अंबाला सिटी में भगवान श्री वामन द्वादशी मेले में आयोजित दंगल में गेंदा राम ने भी अपनी पहलवानी दिखाई। उन्होंने दंगल में अपने प्रतिद्वंदी युवा पहलवान को पटखनी देकर चित किया।
18 साल की उम्र में शुरू की थी पहलवानी
गेंदा राम बताते हैं कि उन्होंने 18 साल की उम्र में पहलवानी शुरू कर दी थी। वे पिछले 45 साल से पहलवानी कर रहे हैं। देश व प्रदेश स्तर पर कई कुश्ती जीती हैं। उनका एक बेटा दलदीप कबड्डी खेलता है। उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से उन्हें कोई प्रोत्साहन राशि नहीं मिल रही। सरकार को पहलवानों को बढ़ावा देने के लिए आर्थिक सहायता देनी चाहिए।