बुधवार को हिसार में हुई महापंचायत को संबोधित करते हुए वक्ता।
हरियाणा के नूंह में हुए सांप्रदायिक दंगों के बाद हालात सामान्य होने लगे है, लेकिन हिंसा की वजह से प्रदेश में उपजे हालातों के बीच खाप और किसान संगठन आगे आए हैं। खाप पंचायतों और किसान संगठनों ने शांति की अपील के साथ ही गौरक्षक मोनू मानेसर की गिरफ्तारी की मांग भी उठाई है। वहीं दूसरी तरफ समुदाय विशेष के खिलाफ फरमान सुनाने वाले 50 से ज्यादा सरपंचों के रूख भी अब नरम पड़ते दिख रहे हैं। झज्जर जिले की 2 पंचायतें तो उनके द्वारा लिए गए फैसले को वापस भी ले चुकी है। वहीं महेन्द्रगढ़ जिले की कुछ पंचायतों ने भी इस पर अपना नरम रूख अख्तिार करते हुए कहा कि उन्होंने तो एक सरपंच के लेटर वायरल होने के बाद हूबहू पत्र जारी कर दिए थे।
मोनू मानेसर की गिरफ्तारी की मांग
बता दें कि बुधवार को हरियाणा के हिसार में नूंह दंगों के बाद बने हालात को लेकर एक महापंचायत आयोजित की गई थी। इस महापंचायत में खाप पंचायतों के अलावा किसान संगठनों ने शिरकत की थी। पंचायत में हिंसा की निंदा करने के साथ ही कुछ फैसले भी लिए गए थे। पंचायत में मोनू मानेसर की गिरफ्तारी की मांग की गई थी। साथ ही अपील की गई थी कि आपसी भाईचारे के साथ शांति बनाए रखें।
महापंचायत में पहुंचे किसान संगठनों और खापों ने हिंसा के पीछे के षड़यंत्र की जांच की मांग भी की। महापंचायत में मंदीप नथवान, कामरेड इंद्रजीत, कारी मुस्लिम, अमरजीत मोहड़ी आदि ने कहा था कि कुछ ताकते हमे जाति और धर्म के नाम पर लड़ाई करवाकर आपसी भाईचारे को खराब करने की कोशिश कर रहे है, लेकिन हमें इससे बचना होगा।
31 जुलाई को हुई थी हिंसा
बता दें कि 31 जुलाई को हरियाणा के मुस्लिम बहुल्य इलाके नूंह में हिंसा हुई थी। जिसमें 6 लोगों की मौत हुई थी। इसमें होमगार्ड के 2 जवान व एक मौलवी भी शामिल था। हिंसा उस वक्त हुई थी जब विश्व हिंदू परिषद (VHP) द्वारा नूंह शहर में ब्रजमंडल यात्रा निकाली जा रही थी। यात्रा पर उपद्रवियों ने हमला कर दिया था। कथित तौर पर यह अफवाह थी कि मोनू मानेसर नूंह में निकाली जाने वाली यात्रा में शामिल होगा, जिससे शहर में सांप्रदायिक झड़पें भड़क उठीं, जो बाद में गुरुग्राम और अन्य इलाकों तक फैल गई थी।
हिंसा के सिलसिले में अब तक 113 FIR दर्ज की गई हैं और 200 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। पुलिस 106 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ भी कर रही है। बुधवार को हरियाणा के हिसार में खापों, किसान संघों और धार्मिक नेताओं की एक बड़ी सभा ने हिंसा की निंदा करने के लिए हिसार में एक ‘महापंचायत’ आयोजित की और क्षेत्र में शांति और सद्भाव के लिए कई प्रस्ताव पारित किए
भारतीय किसान मजदूर संघ द्वारा आयोजित इस महापंचायत में हिंदू, मुस्लिम और सिखों ने भाग लिया। बैठक में संकल्प लिया गया कि सभी धर्मों के लोग शांति बहाल करने के लिए काम करेंगे।
50 से ज्यादा पंचायतों ने सुनाया था फरमान
बता दें कि हाल ही में हरियाणा के महेंद्रगढ़, रेवाड़ी और झज्जर जिलों में 50 से ज्यादा पंचायत के सरपंचों द्वारा कथित तौर पर लिखे गए पत्र सोशल मीडिया पर वारयल हुए थे। पत्रों में दावा किया गया है कि पंचायतों ने मुस्लिम व्यापारियों को उनके गांवों में व्यापार करने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
हालांकि जब से पत्र वायरल हुए उसके बाद कुछ प्रशासन अलर्ट हुआ और ऐसे पत्र लिखने वाले सरपंचों पर कार्रवाई की बात की तो पत्र लिखने वाले सरपंचों के तेवर भी नरम पड़ गए। एक दिन पहले ही झज्जर जिले की दो पंचायतों की तरफ से इस प्रकार का पत्र लिखने पर वीडियो संदेश जारी किया गया, जिसमें अपने संदेश को वापस लेने की बात कही गई।
खापों की प्रतिक्रिया मिलीझुली
नूंह में सांप्रदायिक हिंसा से निपटने के हरियाणा सरकार के तरीके की किसान यूनियनें आलोचना करती रही हैं, जबकि खापों की प्रतिक्रिया मिलीझुली रही है। कुछ खापों ने मुस्लिम व्यापारियों के बहिष्कार का समर्थन किया है, जबकि अन्य ने हिंसा की निंदा की है और मोनू मानेसर की गिरफ्तारी की मांग की है। मुख्य रूप से जाट समुदाय से जुड़ी खापें मोनू मानेसर की गिरफ्तारी की मांग कर रही हैं और सांप्रदायिक सौहार्द की अपील कर रही हैं।
मोनू मानेसर ने जारी किया था वीडियो
ब्रजमंडल यात्रा से पहले मोनू मानेसर ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया था। जिसमें उसने नूंह की यात्रा में शामिल होने का दावा किया था और अपने समर्थकों से बड़ी संख्या में शामिल होने का आह्वान किया था। बाद में उन्हें इस यात्रा में शामिल नहीं होने का संदेश मिला था। मोनू मानेसर ने कहा था कि वह विश्व हिंदू परिषद की सलाह पर यात्रा में शामिल नहीं हुए, क्योंकि उन्हें डर था कि उनकी उपस्थिति से क्षेत्र में तनाव पैदा हो सकता है।
एसआईटी कर रही जांच: डीजीपी
इस पूरे मामले को लेकर हरियाणा पुलिस के डीजीपी पीके अग्रवाल ने कहा कि हिंसा में मोनू मानेसर की भूमिका की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया जाएगा। एसआईटी पूरे मामले की जांच कर रही है।
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