एस• के• मित्तल
सफीदों, भारतीय कृषि अनुसंधान के वैज्ञानिकों ने धान के फसल अवशेष निपटान के लिए बनाए गए पाउडर डिकंपोजर का गांव कारखाना में करीब 10 एकड़ खेत में परीक्षण किया। इस मौके पर डा. लवलीन शुक्ला, कंपनी के कृषि अधिकारी रोहित शर्मा, सुरेंद्र पाल विशेष रूप से मौजूद थे।
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इस मौके पर डा. लवलीन शुक्ला ने बताया कि इस पाऊडर के प्रयोग से किसानों को पराली निपटान में विशेष सहायता प्राप्त होगी। इस पाऊडर के माध्यम से किसानों को चाहिए कि वे फसल अवशेष को जलाये नहीं बल्कि उसका खाद खुद बनाए। जिससे वायु प्रदूषण भी नहीं होगा और खेत की उर्वरता शक्ति भी बनी रहेगी। उन्होंने बताया कि अभी तक पूसा डीकंपोजर तरल एवं कैप्सूल में उपलब्ध था लेकिन अब वह नए स्वरुप पाऊडर में बना दिया है। इस नए पाउडर डिकंपोजर का सफल परीक्षण पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, दिल्ली के किसानों के खेतों में किया गया है। पूसा डीकंपोजर कैप्सूल से घोल तैयार करने में किसान को 10-12 दिन लग जाता है और डिंकम्पोजर तरल को ले जाने में असुविधा होती थी। डीकंपोजर का नया स्वरूप डीकंपोजर पाउडर पानी में तुरंत घुल जाता है और किसान इसका प्रयोग तुरंत कर सकते हैं।
500 ग्राम का एक पैकेट 200 लीटर पानी में घोलकर एक एकड़ के फसल अवशेष पर छिड़काव किया जाता है। पाउडर डिकंपोजर के इस्तेमाल के बाद किसी भी मशीन के साथ उसको मिट्टी में पलटाई कर दे और अगर खेत में नमी ना हो तो हल्की सी सिंचाई कर दें। उसके बाद फसल अवशेष स्वत: ही निपट जाएगा।