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एस• के• मित्तल
सफीदों, नगर की श्री एसएस जैन स्थानक में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मधुरवक्ता नवीन चन्द्र महाराज एवं श्रीपाल मुनि महाराज ने कहा कि आज के जमाने में हर इंसान परेशान है। वह एक-दूसरे को समझने के लिए तैयार नहीं है। छोटी-छोटी बातों पर द्वेष का भाव है। इंसान शांति को कहीं बाहर ढूंढने का प्रयास कर रहा है। अगर हमारे विचारों में सामान्यता आ जाए तो शांति मिल सकती है।
सफीदों, नगर की श्री एसएस जैन स्थानक में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मधुरवक्ता नवीन चन्द्र महाराज एवं श्रीपाल मुनि महाराज ने कहा कि आज के जमाने में हर इंसान परेशान है। वह एक-दूसरे को समझने के लिए तैयार नहीं है। छोटी-छोटी बातों पर द्वेष का भाव है। इंसान शांति को कहीं बाहर ढूंढने का प्रयास कर रहा है। अगर हमारे विचारों में सामान्यता आ जाए तो शांति मिल सकती है।
अगर हमारा नजरिया बदल जाए तो नजर अपने आप बदल जाएगी। आज हर इंसान एक दूसरे से अमीर बनने की होड़ में लगा हुआ है। पैसा खो जाए तो इंसान बहुत परेशान हो जाता है। इस संसार में पैसा कुछ तो है लेकिन सबकुछ नहीं है। मनुष्य के पास धन से ज्यादा अच्छा स्वास्थ्य होना बेहद जरूरी है। हर इंसान अपने आप को धनी, सौंदर्यवान व बड़ा आदमी बनना व दिखना चाहता लेकिन उसका अपने मन व स्वास्थ्य की सुंदरता की तरफ कोई ध्यान नहीं है। पैसे की दौड़ में मन की शांति गौण हो गई है।
मन की शांति के बिना पढ़ा लिखा इंसान भी सुसाइड कर लेता है। किसी ने ठीक ही कहा है कि मां के हारे हार है और मन के जीते जीत। उन्होंने कहा कि मन की शांति के लिए जीवन में विश्राम व प्रसन्नता का भाव रखें। मनुष्य की पांचो इंद्रियों में जब राग द्वेष मिल जाते हैं तो वहां विकार उत्पन्न हो जाते है। मन को मंदिर या श्मशान घाट बनाना सब हमारे हाथ मेंं है। हमें मन को प्रभु के चरणों में भी लगाना चाहिए। मन की शांति के लिए मनुष्य को कठोर व द्वेष का भाव त्यागना होगा। जैसे कच्ची नीम की निंबोली कड़वी होती है और पकने के बाद वहीं हमें खाने में मीठी लगने लगती है। उसी प्रकार कटुताा दूर करेंगे तो मन प्रसन्न हो जाएगा। उन्होंने कहा कि जीवन में सुख और दुख दोनों जरूरी है। अकेली धूप और अकेली छाया भी अच्छी नहीं लगती।
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