कहा: केस व क्लेश निपटाने में बुद्धिजीवी वर्ग को निभानी होगी अहम भूमिका
एस• के• मित्तल
सफीदों, विषय है। समाज के बुद्धिजीवी वर्ग को इस पर गहन चिंतन व मनन करने की आवश्यकता है। उक्त उद्गार संघ संचालक गुरूदेव नरेश चंद्र महाराज ने प्रकट किए। वे नगर की जैन स्थानक में धर्मसभा को संबोधित कर रहे थे। इस धर्मसभा में वकील व पत्रकार विशेष रूप से उपस्थित रहे।
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नरेश चंद्र महाराज ने विभिन्न धर्मों, जातियों एवं वर्गों से मिलकर समाज बना है लेकिन उन सबमें बुद्धिजीवी वर्ग की अपनी एक अहम भूमिका होती है। उन बुद्धिजीवियों में साधू, वकील, पत्रकार, आईएएस, आईपीएस, आईआरएस, सीए, राजनेता व इंजीनियर विशेष रूप से शामिल है। इनके चारों ओर कहीं ना कहीं समाज की धूरी घूमती है। उन्होंने कहा कि समाज में व्याप्त झगड़ों में कही ना कही भाषा का अहम रोल है। किसी की भाषा को देख लो उसमें गर्मी निकलती दिखाई पड़ती है। आजकल राजनेताओं की भाषा में भी काफी गर्मी है।
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अगर हम सब लोग अपनी भाषा की गर्मी को ठंडा कर ले तो सभी प्रकार के झगड़े व फसाद अपने आप ही समाप्त हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि आज अदालतों में केस और समाज व घरों में क्लेश बढ़ते चले जा रहे हैं। हर कोर्ट में केसों की फाईलों के अंबार लगे हुए हैं। हम सबको चिंतन करके एक ऐसी व्यवस्था बनानी होगी कि अदालतों के चल रहे केसों का अदालत के बाहर ही निराकरण हो। हर जिला व उपमंडल स्तर पर बुद्धिजीवियों व प्रबुद्ध वर्ग की कमेटियां बने और वे किसी स्थान पर बैठकर दोनों पक्षों को सुनकर अपना सर्वमान्य फैसला देें ताकि अदालतों से केसों की संख्या में कमी आए। इस कार्य में धर्मगुरू भी महत्वपूर्ण रोल अदा कर सकते है। अदालत द्वारा सुनाए गए फैसले की आगे से आगे अपील होती रहती है और अंतिम अदालत द्वारा दिए गए फैसले से भी दोनों पार्टियां असंतुष्ट रह सकती है लेकिन किसी धर्मगुरू द्वारा सच्चे न्याय के आधार पर सुनाए गया फैसला पूरी तरह से संतुष्टिपूर्ण होता है। नरेश चंद्र महाराज ने घरों में बढ़ते क्लेशों का जिक्र करते हुए कहा कि आज घरों में छोटी-छोटी बातों पर कलह-क्लेश बढ़ते चले जा रहे हैं। आज के दौर में पहले तो रिश्ते नहीं हो रहे और हो जाते है तो वे निभ नहीं रहे हैं। इन सबमें मोटा कारण दोनों परिवारों में एक-दूसरे की दखलअंदाजी है। अगर घरों की कलह को दूर भगाना है तो लड़का व लड़की दोनों ही परिवारों को आपस की दखलअंदाजी बंद करनी होगी तथा संयम के साथ रिश्ते निभाने होंगे।
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उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे भगवान महावीर के बताए मार्ग पर चले। आज इस संसार में बढ़ रही विभिन्न समस्याओं के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए पृथ्वी दिवस, जल बचाओं दिवस, वायु बचाओं दिवस व पर्यावरण बचाओं दिवस मनाए जा रहे हैं लेकिन इन समस्याओं के प्रति भगवान महावीर स्वामी ने हजारों वर्ष पूर्व ही मनुष्य को आगाह कर दिया था लेकिन लोगों ने समझा नहीं और आज हम उसका दुष्परिणाम भुगत रहे हैं। भगवान महावीर ने मुख वस्त्रिका के रूप में हजारों साल पहले ही आज के दौर का मास्क दे दिया था। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे पाश्चात्य संस्कृति में ना रंगकर अपनी पुरात्न संस्कृति के ओर लौटकर सुखी रहें। भगवान महावीर स्वामी द्वारा बताए गए अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य व अपरिग्रह के मार्ग पर चले।