देवता भी मनुष्य जन्म के लिए तरसते हैं: मुनि नवीन चंद्र

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एस• के• मित्तल   

सफीदों, नगर की श्री एसएस जैन स्थानक में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मधुरवक्ता नवीन चन्द्र महाराज एवं श्रीपाल मुनि महाराज ने कहा कि मनुष्य को ज्ञान प्राप्त होने पर उसकी आत्मा का कल्याण हो जाता है। संसार में सब वस्तुएं आसानी से मिल जाती है लेकिन ज्ञान आसानी से नहीं मिल सकता। ज्ञान को प्राप्त करने के लिए मनुष्य को गुरूओं और संतों की शरण में जाना होगा।

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मुनि नवीन ने मानव जन्म की महता बताते हुए कहा कि जिसने इस धरा पर जन्म लिया है उसकी मृत्यु निश्चित है। हमें मानव भव अनेकों पुण्यों के बाद प्राप्त हुआ है। देवता भी मनुष्य जन्म के लिए तरसते हैं। मानव जीवन मिलना चाहिए, चाहे किसी गरीब के घर में ही क्यों ना मिले। पशुओं की इंद्रिया कई मामलों में इंसानों से तेज होती है, जैसे शेर में अधिक बल होता है, गरूड आकाश में उड़ सकता है और सुंघने की क्षमता कुत्ते में अधिक होती है लेकिन हित-अहित के बारे में सोचने की क्षमता केवल इंसान के पास होती है। इंसान की योनी में पुण्यवान लोग अपनी वैल्यू बना लेते हैं और नादान लोग अपनी वैल्यू गिरा लेते हैं।

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उन्होंने कहा कि जो इंसान अपने आप को ज्ञानी समझने और सामने वाले को बेवकूफ समझे उससे बड़ा कोई मूर्ख नहीं है। हमें मानव जीवन भगवान का नाम लेने और धर्म करने के लिए मिला है लेकिन हम उसे भोगों में व्यर्थ गवां रहे हैं। इस धरा पर जो जन्मा है उसकी मृत्यू निश्चित है चाहे वह कोई करोड़पति या कोई गरीब। इसलिए हमें अपनी मृत्यू को हमेशा याद रखना चाहिए। इसलिए हमें भोगों को छोड़कर स्वयं को भगवान का नाम लेने, स्वाध्याय करने, आत्मचिंतन करने व सेवा कार्यों में लगाना चाहिए।

 

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