दिल्ली में बीजेपी को 27 साल मिला प्रचण्ड बहुमत

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दिल्ली (एस• के• मित्तल) : दिल्ली विधानसभा चुनावों में इस बार भाजपा को 27 बार प्रचण्ड बहुमत मिला हैै। अगर यूं कहें कि बीजेपी का दिल्ली में राजनीतिक सूखा समाप्त हुआ है तो भी कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। भाजपा ने यहां पर बहुमत प्राप्त किया तो आम आदमी पार्टी को दूसरा स्थान प्राप्त हुआ। वहीं कांग्रेस पार्टी शून्य से आगे नहीं निकल पाई। बीजेपी की एक लंबे अर्से के बाद वापसी ने यह साफ कर दिया कि दिल्ली के मतदाता अब बदलाव चाहते थे। उन्हे उम्मीद है कि बीजेपी उनके जीवन में बदलाव ला सकती है।

बीजेपी की प्रचंड जीत के ये रहे कारण :

1. मोदी लहर का असर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता और उनके नेतृत्व पर विश्वास ने दिल्ली में बीजेपी की जीत में अहम भूमिका निभाई। मोदी के विकास एजेंडे और राष्ट्रवाद पर आधारित विचारधारा ने लोगों को आकर्षित किया। खासकर, उनके नेतृत्व में आर्थिक सुधार, राष्ट्रीय सुरक्षा और सांस्कृतिक पुनर्निर्माण के मुद्दे ने मतदाताओं का समर्थन बीजेपी के पक्ष में किया।

2. दिल्ली में रोजगार और विकास की उम्मीद

बीजेपी ने अपने चुनावी अभियान में दिल्ली के लिए बेहतर रोजगार, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाएं देने का वादा किया। दिल्लीवासियों के बीच इस विकासवादी दृष्टिकोण ने बीजेपी को अधिक समर्थन दिलाया। खासकर, दिल्ली के युवा मतदाताओं ने बीजेपी के इन वादों पर भरोसा जताया।

3. आप के खिलाफ नाराजगी

आम आदमी पार्टी के शासनकाल में बढ़ती महंगाई, खराब स्वास्थ्य सुविधाएं और शिक्षा में चुनौतियां लोगों के बीच नाराजगी का कारण बनीं। दिल्ली के नागरिकों का यह मानना था कि आप ने केवल मीडिया में छवि बनाने पर ज्यादा ध्यान दिया और असल मुद्दों पर कार्रवाई करने में नाकाम रही।

4. बीजेपी का मजबूत चुनावी प्रचार

बीजेपी ने चुनावों के दौरान सशक्त प्रचार अभियान चलाया। पार्टी ने दिल्लीवासियों को अपनी पार्टी के विकास मॉडल और मोदी सरकार की योजनाओं के बारे में विस्तार से बताया। बीजेपी के नेताओं ने दिल्ली में बिगड़ी स्थिति पर तीखा हमला किया और बदलाव की आवश्यकता की बात की।

आम आदमी पार्टी के जनसमर्थन में गिरावट :

1. आप पार्टी का वायदों में असफल होना

आम आदमी पार्टी ने 2015 और 2020 के चुनावों में दिल्लीवासियों से कई बड़े वादे किए थे, जैसे कि मुफ्त पानी, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं। हालांकि, इन वादों के साथ-साथ प्रशासनिक कुप्रबंधन और खराब जनसेवा ने आम जनता के बीच उनके प्रति निराशा पैदा की।

2. मुलायम विपक्ष की भूमिका

आप के खिलाफ कोई मजबूत विपक्ष ना होने के कारण पार्टी का दखल बढ़ा था, लेकिन बीजेपी ने इस कमी का फायदा उठाया और अपने मजबूत संगठन के जरिए लोगों तक अपनी बात पहुंचाई। इसके अलावा आप के नेताओं के विवाद और असंयमित बयानों ने भी पार्टी की छवि को नुकसान पहुँचाया।

3. करतूतों और विवादों का असर

आम आदमी पार्टी के कुछ नेताओं द्वारा किए गए विवादास्पद बयान और उनके आंतरिक संघर्षों ने पार्टी की साख को हिला दिया। पार्टी के भीतर असहमति और नेतृत्व के बीच मतभेदों ने दिल्लीवासियों में भरोसा घटाया।

4. लोकल मुद्दों पर ध्यान ना देना

ज्यादातर अपने चुनावी अभियानों को आप पार्टी द्वारा राज्य स्तर के मुद्दों तक सीमित किया और दिल्ली के स्थानीय मुद्दों पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया। इसने पार्टी को स्थानीय जनता के बीच अलग-थलग कर दिया।

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