टपका सिंचाई संयत्र लगाने पर किसानों को मिलेगी शतप्रतिशत सब्सिडी

कम जलस्तर वाले 22 गावों को किया गया चिन्हित : उपायुक्त डॉ० मनोज कुमार

जल संरक्षण व फसलों में ड्रिप सिचाई पद्धति को लेकर सूचना एवं सिचाई प्रचार रथों को झंडी दिखाकर किया रवाना

एस• के • मित्तल   
जींद,       आजादी के 75 वें अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में मीकाडा विभाग द्वारा जिला के ऐसे 22 गावों को चिन्हित किया गया जिनमें पानी का स्तर 100 फूट से नीचे है, इन गावों में धान की फसल में टपका सिचांई अपनाने वाले किसानों को अपने खेत में टपका संयत्र लगाने पर राज्य सरकार द्वारा शतप्रतिशत अनुदान दिया जाएगा। यह जानकारी उपायुक्त डॉ० मनोज कुमार ने सिंचाई विभाग के अधिकारियो से बातचीत करते हुए लघु सचिवालय के सभागार में दी। मीकाडा विभाग द्वारा फसलों में टपका पद्धति से सिचाई करने को लेकर जिला में जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। इस किसान जागरूकता अभियान में लगाए गए सूचना एवं सिंचाई रथों  को उपायुक्त डॉ० मनोज कुमार ने लघु सचिवालय से झंडी दिखाकर रवाना किया।
ताकि जिला के किसान विभिन्न प्रकार की फसलों में ड्रिप सिचाई पद्धति अपनाकर पानी बचाने को लेकर और जागरूक हो सकें। इस मौके पर मिकाडा विभाग जींद के कार्यकारी अभियंता सौरभ गर्ग, सिचाई विभाग के कार्यकारी अभियंता राजीव राठी,जन स्वास्थ्य विभाग के कार्यकारी अभियंता संजीव कुमार,मिकाडा के एसडीओ योगेश व आशुतोष उपस्थित रहे। उपायुक्त ने बताया कि जिला के तीन खंडों के 22 गांवो में भूमि का जलस्तर सामान्य से काफी कम है। उन्होंने बताया कि अलेवा खंड के नगूरां, चांदपुर, हसनपुर, अलेवा, शामदों तथा जींद खंड के बोहतवाला, दालमवाला, जीवनपुर, शाहपुर, कंडेला, श्री रागखेडा, इसी प्रकार उझाना खंड के पिपलथा, नारायणगढ, ढाबी टेकसिंह, गढी, रंशीदां, रेवर, धनौरी, दातासिंहवाला, पदार्थ खेडा, ढिंढोली, हंसडहर गांवों में भूमिगत पानी का जलस्तर 100 फीट से नीचे चला गया है। उन्होंने बताया कि जिला के अन्य गावों के साथ-साथ इन सभी गांवो में भूमि का जलस्तर बढाने व बरसाती पानी का संचय करने के लिए विशेष किसान गोष्ठि व जागरूकता शिविर लगाए जाएंगे। उन्होंने कहा कि भूमिगत जलस्तर को बढाने के लिए केन्द्र व राज्य सरकार द्वारा अटल भूजल योजना, राष्ट्रीय जल मिशन, प्रधानमंत्री जल संरक्षण, अमृत सरोवर योजना जैसी विभिन्न विभागों के माध्यम से बहूत सी योजनाएं चलाई जा रही है।
इसके अलावा किसानों को सिंचाई के लिए प्रयोग में आने वाले यंत्र उपलब्ध कराने के उद्देश्य से पीएम कृषि सिंचाई योजना शुरू की गई है। किसानों को सिंचाई कार्य में आसानी हो इसके लिए उन्हें इस योजना के तहत सब्सिडी पर सिंचाई यंत्र मुहैया कराए जाते हैं। सिंचाई यंत्रों पर 75 प्रतिशत तक सब्सिडी का लाभ किसानों को प्रदान किया जाता है। किसानों को कम पानी में अधिक क्षेत्रफल में सिंचाई की तकनीक पर जोर दिया जा रहा है ताकि पानी की बचत हो और कम पानी में अधिक फसल उगाई जा सकें। इसके तहत किसानों को ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई तकनीक के इस्तेमाल पर सब्सिडी दी जा रही है। इन दोनों ही सिंचाई तकनीक से पानी की बचत होती है।
ड्रिप सिंचाई तकनीक से सीधा पौधों के जड़ों तक पहुंचता है पानी
उपायुक्त ने बताया कि ड्रिप सिंचाई जिसे टपका सिंचाई भी कहते हैं। इस तकनीक में पेड़ पौधों को नियमित जरूरी मात्रा में पानी मिलता रहता है ड्रिप सिंचाई विधि से उत्पादकता में 20 से 30 प्रतिशत तक अधिक लाभ मिलता है। इस विधि से 60 से 70 प्रतिशत तक पानी की बचत होती है। इस विधि से ऊंची-नीची जमीन पर सामान्य रूप से पानी पहुंचता है। इसमें सभी पोषक तत्व सीधे पानी से पौधों के जड़ों तक पहुंचाया जाता है तो अतिरिक्त पोषक तत्व बेकार नहीं जाता, जिससे उत्पादकता में वृद्धि होती है।
इस विधि में पानी सीधा जड़ों तक पहुंचाया जाता है और आस-पास की जमीन सूखी रहती है, जिससे खरपतवार भी नहीं पनपते हैं। इस कार्यक्रम से पहले उपायुक्त वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से पंचकुला के लोक निमार्ण विश्राम गृह में चल रहे किसान गोष्ठी कार्यक्रम से लाईव जुडे हुए थे। इस कार्यक्रम में हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहरलाल सूक्ष्म सिंचाई विषय पर किसानों से सीधी बातचीत कर रहे थे। मुख्यमंत्री ने कहा कि हमें आने वाली पीढियों के लिए जल को बचाना होगा इसके लिए कम पानी की लागत वाली फसलों की खेती कर सुक्ष्म सिचाई पद्धति अपनानी होगी। राज्य सरकार द्वारा किसानों के लिए मेरा पानी-मेरी विरासत जैसी कई योजनाएं चलाई गई है। उन्होंने कहा कि धान उपज के लिए बहुत ज्यादा पानी की खपत होती है। इस फसल में एक किलो चावल के लिए तीन हजार लीटर तक पानी की खपत होती है। उन्होंने बताया कि अबकि बार किसानों की जागरूकता के कारण लगभग 98 हजार एकड में धान की बुआई कम होगी। इसके अलावा हमें पानी बचाने के लिए अपने प्राकृतिक जल स्त्रोतों को बचाना होगा। बरसाती पानी का संग्रहण करने के तरीके अपनाने होंगे। पंचकुला में मुख्यमंत्री के साथ राज्य के कृषि मंत्री जेपी दलाल,विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता,अम्बाला लोकसभा क्षेत्र के सांसद रत्नलाल कटारिया, एसीएस देवेन्द्र कुमार,सुमिता मिश्रा,चेयरपर्सन केशनी आनंद अरोडा व गोष्ठी में आए किसान मौजूद रहे।

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